रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधायकों को वर्षों से मिल रहे अर्दली भत्ते की सुविधा खत्म कर दी गई है। हालांकि सरकार ने उनके वेतन-भत्ते में लगभग दोगुने का इजाफा किया है। अब विधायकों को एक लाख 60 हजार रुपए हर महीना मिलेगा। वहीं मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के भी वेतन भत्तों में बड़ी वृद्धि की गई है।
राज्य सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन भत्ता और पेंशन संशोधन अधिनियम पारित कराया था। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अब इसे राजपत्र में प्रकाशित करा दिया गया है। यानी 12 सितम्बर से बढ़ा हुआ वेतन-भत्ता लागू हो गया है। संशोधित कानून के मुताबिक विधायकों को हर महीने 20 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिलने हैं। इसके अलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के तौर पर 55 हजार रुपए मिलना है। हर महीने 10 हजार रुपया टेलीफोन भत्ता और 15 हजार रुपया चिकित्सा भत्ता के तौर पर मिलेगा। इसके अलावा दो हजार रुपए प्रतिदिन की दर से दैनिक भत्ता भी तय है। यह रकम मिलकर एक लाख 60 हजार रुपए होती है। पहली बार इसमें अर्दली भत्ते को शामिल नहीं किया गया है।
विधायकों को मिलने वाली वेतन का विवरण
अब तक विधायकों को 20 हजार रुपया वेतन के तौर पर, 30 हजार रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, पांच हजार रुपया टेलीफोन भत्ता, 10 हजार रुपया चिकित्सा भत्ता और 15 हजार रुपया महीने अर्दली भत्ता के तौर पर मिलता था। अब तक दैनिक भत्ता एक हजार रुपया महीने हुआ करता था। संसदीय सचिवों का वेतन-भत्ता एक लाख 75 हजार रुपया महीना कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ में 90 विधायक हैं। इनमें से 13 लोग मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक नेता प्रतिपक्ष और 15 संसदीय सचिवों को मिलाकर 31 विधायक अलग वेतन समूह में शामिल हैं। इस विधेयक को विधानसभा में बिना किसी चर्चा के सर्वसम्मति से पारित करा लिया गया था।
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