लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से फूड कंपनियों की मांग बढ़ी थी, उससे लग रहा था कि आगे भी इनके सामानों की डिमांड बढ़ेगी. लेकिन लॉकडाउन खुलने के साथ ही जैसे ही आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार बढ़ी आईटीसी, ब्रिटेनिया और पारले जैसी कंपनियों की मांग घटने लगी. लॉकडाउन के दौरान इनके प्रोडक्ट खूब बिके थे. अप्रैल से जून के बीच इन कंपनियों के प्रोडक्ट की मांग में जो उछाल दिखी थी, वह अगस्त में घट गई.
लॉकडाउन के दौरान बढ़ गई थी ग्रॉसरी की मांग
अप्रैल में लॉकडाउन की वजह से घरों में ग्रॉसरी की मांग काफी बढ़ गई थी. क्योंकि उपभोक्ताओं ने ग्रॉसरी का स्टॉक शुरू कर दिया था. लॉकडाउन के दौरान बंद हुए रेस्तराओं की डिमांड में अब बढ़ोतरी दिखी है लेकिन फूड कंपनियों की डिमांड में इजाफा नहीं दिख रहा है. कंपनियों का कहना है कि नॉन फूड की तुलना में फूड आइटम की बिक्री बढ़ी है लेकिन पहले की तुलना में मांग आधी रह गई है. चूंकि लॉकडाउन के खुलने से लोग घरों में सामान स्टॉक नहीं कर रहे हैं इसलिए फूड आइटम की मांग में कमी दिख रही है.
आटा, चावल, दाल, घी और मसालों की बिक्री घटी
जून में ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज ने पिछले आठ साल का सर्वोच्च ग्रोथ हासिल किया था. कंपनियां के गुड डे और टाइगर ब्रांड बिस्किट की रिकार्ड बिक्री हुई थी. लेकिन अब यह डिमांड घटती हुई दिख रही है. ब्रिटेनिया का कहना है कि इस वक्त मांग मे कितनी कमी आई है यह तो निश्चित रूप से नहीं कहा ज सकता लेकिन इसमें कमी जरूर आई है. हालांकि फ्रोजेन फूड और वेबरेज सेगमेंट में मांग पहले जैसी दिखेगी लेकिन आटा, चावल, दाल, घी और मसालों की मांग में पहले की तुलना में कमी आएगी. लॉकडाउन में लोगों की ओर से घरों में राशन जमा करने की वजह से फूड आइटम की बिक्री बढ़ गई थी.