रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की अगस्त की क्रेडिट पॉलिसी (RBI credit policy) के बाद आम जनता के मूड में काफी बदलाव देखने को मिला है. इस समय की स्थिति की देखते हुए जनता इकोनॉमी (Indian EcoRBI credit policynomy) को लेकर कम निराशावादी है. वहीं, खर्चों को लेकर आम जनता काफी आशावादी नजर आ रही है. इसके अलावा अर्थव्यवस्था, नौकरी, इनकम और खर्चों को लेकर भी लोग उत्साहित हैं. सेंट्रल बैंक के सितंबर 2021 के सर्वे के मुताबिक, कंज्यूमर ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए रोजगार और इकोनॉमी के साथ-साथ इनकम और एक्सपेंडीचर पर भी कम निराशावाद को दिखाया है.
फ्यूचर इंडेक्स में तेजी
सर्वे के रिजल्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद जनता भविष्य की स्थितियों को लेकर काफी आशावादी हैं. इसके अलावा वर्तमान स्थिति इंडेक्स माी 2020 के बाद सबसे ज्यादा है और फ्यूचर इंडेक्स नवंबर 2020 के बाद सबसे ज्यादा है.
दो अंकों में बढ़ेगी इकोनॉमी की रफ्तार
महामारी की दूसरी लहर में लगाई गई पाबंदी हटने के बाद इकोनॉमी के साथ-साथ कई संकेतों में सुधार देखने को मिला है. साल 2021-22 में इकोनॉमी के दो अंकों में बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में विकास दर लगभग 9.5 फीसदी से रहने की उम्मीद है. हालांकि, कच्चे तेल की और घरेलू तेल की कीमतों को उनके कम आंका गया है.
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में भी हुआ सुधार
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स जुलाई में 48.6 था जो कि सिंतबर महीने में बढ़कर 57.7 हो गया है. एक साल की समय सीम में भी कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में सुधार देखने को मिला है. फ्यूचर एक्सपेक्टेशंस इंडेक्स जुलाई महीने में 104 था जोकि सितंबर महीने में बढ़कर 107 हो गया है. बता दें कि ये इंडेक्स अगर 100 के ऊपर रहता है तो आशावाद की कैटेगिरी में इसको माना जाता है.
दूसरी लहर के बाद सामान्य हो रही हैं गतिविधियां
अगस्त 2021 के सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था और नौकरियों को लेकर सेंटीमेंट में सुधार देखने को मिला है. इसके अलावा सर्वे में भाग लेने वाले रिस्पोंडेंट इमकम को लेकर ज्यादा निराशावादी नजर आ रहे थे. मॉनेटिरी पॉलिसी के सेंटीमेंट के बाद केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति रिपोर्ट भी पब्लिश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर की रफ्तार खत्म होने के बाद घरेलू आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं.
कच्चे माल की लागत में हुआ इजाफा
RBI के मैन्युफैक्चरिंग पोल के बाद जुलाई-सितंबर 2021 के दौरान कच्चे माल की लागत और बिक्री मूल्य की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिला है. कोरोना की दूसरी लहर की वजह से इनकी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
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