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पीडब्ल्यूडी में वरिष्ठ ताकते रह गए और कनिष्ठ बन गए चीफ इंजीनियर

० नियम-कायदों के साथ हाईकोर्ट के निर्देश को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप

रायपुर। आखिरकार नियम-कायदों और हाईकोर्ट के निर्देश को ठंडे बस्ते में डालकर राज्य लोक सेवा आयोग और लोक निर्माण विभाग ने छह अधीक्षण अभियंताओं को मुख्य अभियंता के पद पर पदोन्नत कर दिया। प्रमोशन में न तो वरिष्ठता को देखा गया और न ही मेरिट को। मुख्य अभियंता के रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार द्वारा दिए गए छूट को ही पैमाना बनाकर आधे दर्जन इंजीनियरों को मुख्य अभियंता बना दिया गया। इस पैमाने के चलते कई अधीक्षण अभियंताओं की गोपनीय चरित्रावली का अंक कम होते हुए भी ऊँची कुर्सी पा गए।

अधीक्षण अभियंताओं को मुख्य अभियंता बनाने के लिए 16 अगस्त को डीपीसी हुई थी। इस डीपीसी के आधार पर एस एन श्रीवास्तव, भोलाशंकर बघेल, समयलाल, विजयसिंह कोरम,एन के जयंत और आर के रात्रे को मुख्य अभियंता बनाया गया है। इस डीपीसी के खिलाफ सितंबर में अधीक्षण अभियंता एच आर ध्रुव और के पी संत बिलासपुर हाईकोर्ट गए थे। दोनों अधिकारी जब हाईकोर्ट गए , तब डीपीसी के नतीजे नहीं आए थे।

हाईकोर्ट ने केपी संत के पिटीशन डब्ल्यू पी एस 5335/2024 पर सुनवाई करते हुए तीन सितंबर को पांच साल के गोपनीय प्रतिवेदन के आधार पर ही डीपीसी कराने को माना। हाईकोर्ट ने तब केपी संत की याचिका का निराकरण कर उनके साथ अन्याय होने पर कोर्ट में अपील करने का फैसला दिया। 16 अगस्त की डीपीसी के लिए राज्य लोक सेवा आयोग ने लोक निर्माण विभाग से पदोन्नत होने वाले इंजीनियरों के पांच की गोपनीय चरित्रावली भेजने को कहा था। बताते हैं लोक निर्माण विभाग ने पदोन्नत होने वाले इंजीनियरों के पांच के सीआर भेजे भी, लेकिन डीपीसी हो गई चार साल की गोपनीय चरित्रवाली के आधार पर। कहते हैं चार साल की गोपनीय चरित्रावली के आधार पर इंजीनियरों के प्रमोशन देने से कुछ वरिष्ठ अफसरों का हित प्रभावित हो गया। याने कनिष्ठ पदोन्नत हो गए और वरिष्ठ छूट गए।

अधीक्षण अभियंता एच आर ध्रुव 2023 के सीआर को संसूचित कर निराकरण किए बिना डीपीसी कराने को आधार बनाकर हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने एच आर ध्रुव की याचिका डब्ल्यू पी एस 5260 /2024 पर सुनवाई करते हुए दो सितंबर को ध्रुव के मामले में सात कार्यदिवस में सीआर के मुद्दे का निराकरण कर डीपीसी का परिणाम घोषित करने का आदेश पारित किया। ध्रुव ने कोर्ट के आदेश के बाद भी सीआर के मुद्दे का निराकरण किए बिना ही ग्रेडिंग को यथावत रखने और डीपीसी का परिणाम घोषित करने को लेकर राज्य लोक सेवा आयोग में आपत्ति की। इस बाबत आठ अक्टूबर को अध्यक्ष और सचिव को पत्र सौंपा। इसके बाद भी नौ अक्टूबर को डीपीसी का परिणाम घोषित कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ लोकसेवा पदोन्नति नियम 2003 के अनुसार पांच साल की सेवा वाले अधीक्षण अभियंताओं को मुख्य अभियंता के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है। लोक निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता की कमी को देखते हुए मंत्रिमंडल ने पांच की जगह चार साल तक अधीक्षण अभियंता रहे इंजीनियरों को भी मुख्य अभियंता बना सकने की छूट दे दी। कैबिनेट के फैसले से कई अधीक्षण अभियंता प्रमोशन के दायरे में आ गए। कोर्ट जाने और डीपीसी को लेकर आपत्ति करने वाले अधीक्षण अभियंताओं का तर्क है कि सरकार ने प्रमोशन के लिए अनुभव में एक साल की छूट दी है , पर योग्यता में छूट नहीं दी है। प्रमोशन तो पांच साल के सीआर के आधार पर ही होना चाहिए। प्रमोशन से वंचित वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता मेरिट कम सीनियरटी को आधार बनाकर राज्य लोक सेवा आयोग में भी आपत्ति की। अब हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

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