मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक होने जा रही है। इसमें आदिवासी समाज का आरक्षण बचाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का भी प्रस्ताव है। बताया जा रहा है, इस बैठक में आरक्षण पर बिलासपुर उच्च न्यायालय का फैसला ही चर्चा का केंद्र रहने वाला है। सरकार इस मामले में कोई महत्वपूर्ण फैसला ले सकती है। इसके अलावा सरकार से जुड़े कई प्रस्तावों पर चर्चा होनी है। कैबिनेट में विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के निधन पर शोक भी जताया जाएगा।
आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पिछले सप्ताह इसकी जानकारी दी थी। उनका कहना था, हमारी सरकार इस मामले को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी कर रही हैं। इस मामले को 17 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में भी रखेंगे। कवासी लखमा ने कहा, आरक्षण मामले को भाजपा ने अच्छी तरीके से कोर्ट में नहीं रखा। इसकी वजह से आदिवासी समाज को नुकसान हुआ है। हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को अच्छे वकीलों के माध्यम से रखेगी। अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकील अब इस मामले पर सरकार का पक्ष रखेंगे। आबकारी मंत्री ने कहा, हम भी चाहते हैं कि आदिवासी समाज को 32% आरक्षण मिले, ताकि बस्तर और सरगुजा का आदिवासी समाज विकास के पथ पर आगे बढ़े।
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करते रहे हैं। उन्होंने कहा है, कांग्रेस आबादी के अनुपात में आरक्षण की पक्षधर है। हम चाहते हैं कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समाज को जो अधिकार मिला हुआ है वह बना रहे। यही नहीं पिछड़ा वर्गों के लिए मंडल आयोग ने जो सिफारिशें की हैं वह भी मिले और संसद ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की है वह भी लागू रहे। बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे किस तरह किया जाए उसपर मंथन जारी है।