विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने फीस वापसी नीति में बदलाव संबंधी नए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि माइग्रेशन और दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों को कॉलेज पूरी फीस वापस करें और उनके मूल दस्तावेज भी वापस करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे आयोग से ग्रांट प्राप्त करने की अपनी पात्रता खो देंगे साथ ही उनके विश्वविद्यालय संबद्धता वापस लेने की भी सिफारिश की जा सकती है।
उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा शुल्क वापसी का प्रावधान निर्धारित किया गया था
आयोग को संस्थानों द्वारा फीस वापसी न करने के संबंध में मिली तमाम शिकायतों के बाद यह अधिसूचना आई है। कोरोना के मद्देनजर यूजीसी ने 2 अगस्त को एक आधिकारिक नोटिस प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में छात्रों के माइग्रेशन या दाखिले को रद्द कराने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा शुल्क वापसी का प्रावधान निर्धारित किया गया था।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में माइग्रेशन करना चाहते हैं
इस वर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट आयोजित की गई। इसके परिणामों की घोषणा में देरी से चिंतित छात्रों ने निजी संस्थानों में प्रवेश ले लिया। सीयूईटी का आयोजन पहली बार राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए किया था। सीयूईटी-यूजी के नतीजे 16 सितंबर को और सीयूईटी-पीजी के नतीजे 26 सितंबर को घोषित होने के बाद कुछ छात्र जो निजी संस्थानों में प्रवेश ले चुके थे अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में माइग्रेशन करना चाहते हैं। ऐसे में निजी संस्थान यूजीसी के आदेश का उल्लंघन करते हुए छात्रों को वित्तीय दंड देने के साथ ही मूल दस्तावेज नहीं लौटाकर उन पर दबाव बना रहे हैं।
यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12 वी के तहत अनुदान प्राप्त करने की पात्रता खो सकता है
यूजीसी ने दोहराया है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए अगस्त 2022 के निर्देश का पालन करना अनिवार्य था, जिसमें उन्हें 31 अक्टूबर तक छात्रों के प्रवेश या माईग्रेशन को रद्द करने के मामले में पूरी फीस लौटाने की आवश्यकता थी। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने सभी कुलपतियों और प्राचार्यों को लिखे पत्र में चेतावनी दी है कि फीस वापस करने में विफलता के परिणामस्वरूप संस्थान यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12 वी के तहत अनुदान प्राप्त करने की पात्रता खो सकता है और साथ ही उसे आवंटित अनुदान को रोका जा सकता है। यह यूजीसी को यह सिफारिश करने के लिए भी प्रेरित कर सकता है कि संबद्ध विश्वविद्यालय कॉलेज या संस्थान की संबद्धता वापस ले लें और साथ ही सरकार को प्रस्ताव दें कि इसे विश्वविद्यालय का दर्जा रद्द कर दिया जाए।
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