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आज है राष्ट्रिय शिक्षा दिवस, क्यों होता है यह दिन बेहद खास

आज हम पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मना रहे हैं। हर साल 11 नवंबर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और अभियान आयोजित किए जाते हैं। 11-9-2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। मौलाना अबुल कलाम आजाद को मरणोपरांत 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

1951 में देश का पहला आईआईटी संस्थान स्थापित

शिक्षा मंत्रालय ने आजाद के नेतृत्व में ही 1951 में देश का पहला आईआईटी संस्थान स्थापित किया। इसके बाद 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) बनाया गया। उनका मानना था कि ये संस्थान भविष्य में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में अहम साबित होंगे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और सेकेंडरी एजुकेशन कमिशन भी उन्हीं के कार्यकाल में स्थापित किया गया था। देश में प्रसिद्ध जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापन में भी उनका अहम योगदान रहा।

क्या है इस बार की राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम

हर वर्ष शिक्षा मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम तय की जाती है। इस बार की थीम है ‘कोर्स बदलना, शिक्षा को बदलना’। यह थीम इस बात की ओर इशारा करती है कि वर्तमान व भविष्य की जरूरतों के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था को बदलने की कितनी ज्यादा जरूरत है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में पहले शिक्षा मंत्री थे

मौलाना अबुल कलाम आजाद या मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को हुआ था। मौलाना अबुल कलाम आजाद 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में पहले शिक्षा मंत्री थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद न केवल एक विद्वान थे बल्कि शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थे। वह एक सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद देश के आईआईटी और कई प्रमुख संस्थानों की बेहतरी के लिए काम किया।  एक कवि, विद्वान, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी, उन्होंने कई नेताओं के साथ भारत के निर्माण में योगदान दिया। लेकिन भारत के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का उपहार रहा है।

276 अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने की दी अनुमति

आयोग ने 276 ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है जिनके आवेदन पत्र पूर्व में अस्पष्ट फोटो व हस्ताक्षर होने के आधार पर निरस्त कर दिए गए थे। इन अभ्यर्थियों ने आयोग पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा था। आयोग ने जांच के बाद 276 अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र जारी कर दिए। हालांकि आयोग ने साफ किया है कि ऐसे अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र जारी नहीं किए गए हैं जिन्होंने चश्मा या कैप लगी फोटो आवेदन पत्र में लगाई थी।

 

 

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