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Covid-19 का वैक्सीनेशन कराना होगा स्वैच्छिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की सवालों की सीरीज, जानें यहां

नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड 19 के लिए टीकाकरण कराना स्वैच्छिक होगा. इसके साथ ही भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भारत में पेश किया गया वैक्सीन अन्य देशों द्वारा विकसित किसी भी वैक्सीन की तरह ही प्रभावी होगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा कि लोगों को सलाह दी जा रही है कि एंटी कोरोनावायरस वैक्सीन का पूरा शेड्यूल लें. इसमें इस बात से कोई संबंध नहीं है कि किसी व्यक्ति को पहले कोरोना संक्रमण हुआ है या नहीं. इससे पीछे स्वास्थ्य मंत्रालय का तर्क यह है कि इससे बीमारी के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद मिलेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि एंटीबॉडी का सुरक्षात्मक स्तर आमतौर पर दूसरी खुराक प्राप्त करने के दो सप्ताह बाद विकसित होता है.

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे बारे में पूछे जाने पर सवालों की एक श्रृंखला जारी की है. यह सीरीज लोगों के मन में उठने वाले आम सवालों पर केंद्रित है. इसमें इस सवाल का भी जवाब दिया गया है कि क्या कोरोना वैक्सीन लगवाना सभी के लिए अनिवार्य है ? इसके अलावा शरीर में एंटीबॉडी बनने में कितना समय लगता है और कोविड-19 से रिकवर हुए व्यक्ति को भी कोरोना वायरस वैक्सीन लगवानी चाहिए जैसे सवालों के जवाब शामिल हैं.

सवालों के जवाब में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि, कोविड-19 का टीका लगवाना स्वैच्छिक है. हालांकि इसके साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि किसी व्यक्ति को संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए. साथ ही यह भी बताया गया है कि वैक्सीन लगवाने से कोरोना वायरस संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है. किसी व्यक्ति के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह अपने फैमिली मेंबर्स को बचाने के लिए कोरोना वायरस का टीक लगवाए.

मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन ट्रायल अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं. साथ ही कहा कि सरकार जल्द ही कोविड 19 के लिए वैक्सीन लॉन्च करने के लिए तैयार है. भारत में 6 टीके विकसित हो रहे हैं, इनमें आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक, दूसरा जॉयडस कैडिला द्वारा विकसित किया जा रहा है, तीसरी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन है जिसका परीक्षण सीरम इसंटीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है. स्पुतनिक वी वैक्सीन रूस के गमलेया नेशनल सेंटर के सहयोग से हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैब द्वारा निर्मित की जा रही है और छठी एक बायोलॉजिकल ई लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा निर्मित है, जो एमआईटी, यूएसए के सहयोग से भारत में क्लिनिकल परीक्षण के दौर से गुजर रही है.

क्या कोई वैक्सीन सुरक्षित होगी, क्योंकि इनका बहुत कम समय में परीक्षण और पेश की जा रही हैं और इनके संभावित दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं, इन सवालों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में वैक्सीन तभी पेश किए जाएंगे जब नियामक संस्थाएं स्पष्ट करें कि ये सुरक्षा और प्रभावकारिता के आधार पर हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इसके कुछ सामान्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे- वैक्सीन लेने पर हल्का बुखार, इंजेक्शन लगाए जाने की जगह पर थोड़ा दर्द आदि. लेकिन ये गंभीर नहीं हैं. कुछ घंटों बाद ये लक्षण ठीक हो जाते हैं. मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन की दो खुराक 28 दिनों के अंतर पर ली जाती है और इसके दो सप्ताह बाद यह अपना असर दिखाना शुरू कर देती है और शरीर में एंटीबॉडी बनने लगते हैं. पैदा हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से वैक्सीन लेने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमण के हमले से खुद को सुरक्षित कर पाता है.

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