खरीफ की बंपर फसल की वजह से अनाज, दलहन और तिलहन के दाम में उपभोक्ताओं को काफी राहत मिल सकती है. इससे आने वाले सीजन में इनके दाम में 10 से 15 फीसदी गिर सकते हैं. नवंबर, 2020 रिटेल फूड इन्फ्लेशन गिर कर 9.43 फीसदी पर पहुंच गई थी. अक्टूबर 2020 में यह 11 फीसदी थी. खाद्यान्न के दामों में गिरावट शुरू हो गई है. जानकारों का कहना है अभी इसमें और गिरावट देखने को मिलेगी.
जानकारों का कहना है कि सरसों तेल की मौजूदा कीमतें अभी बरकरार रहेंगीं लेकिन इसके बाद इसमें दस फीसदी की गिरावट आ सकती है. आने वाले दिनों में सरसों तेल की थोक कीमत 105 से 110 रुपये प्रति लीटर हो सकती है. पिछले साल जनवरी की तुलना में इस बार जनवरी में इंदौर मार्केट में गेहूं की कीमत 10 से 15 फीसदी गिर गई है. चावल के दाम में भी 5 से 7 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है.
सरकारी गोदाम इस बार गेहूं और चावल भरे हुए हैं. चालू साल में चावल की 25 फीसदी ज्यादा खरीद हुई है. चावल और गेहूं का स्टॉक सात करोड़ टन से ज्यादा पहुंच गया है. यह एक अक्टूबर को मानक बफर लिमिट से ज्यादा पहुंच गया है. जनवरी में अब तक फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 4.95 करोड़ धान खरीद चुकी है. दो दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि रबी सीजन में अनाज की पैदावार बढ़ कर 15.32 करोड़ टन पहुंच सकती है. यह पिछले साल ( 2018-19) की पैदावार से कहीं ज्यादा है. अच्छी बारिश की वजह कृषि रकबे में बढ़त आई है. इस वजह से फसल उत्पादन में बढ़त दर्ज की जा सकती है.