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आज है वट सावित्री व्रत, ना मिले बरगद का पेड़ तो इस तरह करें पूजा, मिलेगा पूरा फल

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हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बहुत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है. ये व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है और वट वृक्ष व्रत को पूर्ण करने के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है. लेकिन आजकल शहरों में वट वृक्ष आसानी से नहीं मिलते. तो अगर वट वृक्ष ना मिले तो ऐसे करें पूजा।



बरगद के पेड़ का महत्व
वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष का विशेष महत्व है. इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है. बिना इसकी पूजा के व्रत अधूरा माना जाता है. वट सावित्री में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस वृक्ष की आयु लंबी होती है. यही कारण है कि सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं और वट की पूजा करती हैं.

बरगद न मिले तो क्या करें?
ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो वट सावित्री व्रत रखते हैं, लेकिन उन्हें पूजा के लिए वट वृक्ष नहीं मिल पाता है. ऐसे में ये लोग क्या करें? कैसे व्रत के साथ अपनी पूजा संपन्न कर सकते हैं? इसके बारे में ज्योतिषाचार्य से हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यदि वट सावित्री वाले दिन बरगद का पेड़ न मिले तो आप एक दिन पहले बरगद की छोटी डाली या टहनी काटकर मंगवा लें और इसकी पूजा कर सकती हैं. इससे आपको पूजा का पूरा फल मिलेगा.

ना मिले बरगद की टहनी या डाली तो क्या करें
अगर बरगद की टहनी या डाली भी ना मिले तो इसकी जगह आप तुलसी के पौधे के पास पूजा का सारा सामान रखकर वट सावित्री व्रत के नियमों का पालन करते हुए तुलसी मैय्या से अपनी कामना करते हुए पूजन कर सकती हैं.

यदि तुलसी का पौधा भी न हो तो कैसे करें पूजा?
अगर आपके घर पर तुलसी का पौधा भी नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप घर के पूजा स्थान को गोबर, गंगाजल या हल्दी पानी से पोछ लें और फिर उसपर आटे से चौक बनाकर कलश स्थापित कर दें. बाजार से वट सावित्री पूजा की तस्वीर लाकर स्थापित करें और पूजा के लिए गौरी-गणेश और नवग्रह बनाकर एक नारियल रख दें. इसके बाद आप विधि विधान से अपनी वट सावित्री व्रत की पूजा प्रारंभ कर लें.

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