मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में पर्वतारोहण अकादमी शुरू करने की घोषणा की है। यह अकादमी बस्तर में खुलेगी। सरकार की कोशिश एडवेंचर स्पोर्ट्स में मौका तलाशने की है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ से मुलाकात के बाद की है। हालांकि अकादमी कैसी होगी, क्या सुविधाएं होंगी जैसी कई सवालों के जवाब आने अभी बाकी है।
मुलाकात के दौरान नैना सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया, उन्हें एक जून को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट फतह करने में सफलता मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा, इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ा है। नैना सिंह धाकड़ ने बताया कि वे जगदलपुर जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर टाकरागुड़ा गांव की रहने वाली हैं। वर्ष 2010 से उन्होंने पर्वतारोहण शुरू किया है। एनएसएस के जरिए इसकी शुरूआत हुई।
उन्होंने बताया कि एक जून को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट की फतह करने के पहले 23 मई को 8 हजार 516 मीटर ऊंचे माऊंट लोहत्से में भी उन्होंने सफलता पूर्वक चढ़ाई की। इन दोनों ही चोटियों की फतह करने वाली वे देश की दूसरी महिला पर्वतारोही हैं। मुलाकात के दौरान गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, बस्तर के अपर कलेक्टर अरविन्द एक्का और खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे भी मौजूद रहे।
नैना सिंह धाकड़ ने बताया, वे एवरेस्ट फतह करने वाली राज्य की दूसरी महिला हैं। इससे पहले 1993 में भिलाई की सविता धपवाल बछेंद्री पाल के साथ एवरेस्ट पर पहुंची थीं। अम्बिकापुर निवासी राहुल गुप्ता एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने वाले छत्तीसगढ़ के पहले खिलाड़ी हैं। उन्होंने यह कारनामा 2018 में किया था। तबसे उन्होंने देशी-विदेशी कई ऊंची चोटियों को अपने कदमों से नापा है।
छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी 1225 मीटर की
माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8 हजार 848 मीटर है। छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा 1हजार 22 मीटर की है। बलरामपुर जिले के सामरी पाट स्थित इस चोटी से झारखंड के जंगल दिखाई देते हैं। अभी इसके बेस तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं है और ना ही यहां की जनता इस चोटी के बारे में बहुत कुछ जानती है। गौरलाटा के साथ साथ बैलाडीला का नंदीराज पर्वत 1 हजार 210 मीटर माना जाता है। यहां लौह अयस्क का भंडार है। इसे भी कभी पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित नहीं किया गया। तीसरी सबसे ऊंची चोटी बदरगढ़ को माना जाता है जिसकी ऊंचाई 11 सौ76 मीटर बताई जाती है। कवर्धा जिले में बताई जा रही इस चोटी का अस्तित्व ही संदेह में है, क्योंकि यहां इस नाम की कोई जगह राजस्व नक्शे में नहीं है।
यह भी पढ़ें- कोरोना से बेसहारा हुए निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी सरकारी मदद मिलेगी
One Comment
Comments are closed.