Close

कही-सुनी (14 NOV-21) : अशोक जुनेजा की ताजपोशी और अब मुख्य सचिव को लेकर कयासबाजी

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


अशोक जुनेजा की ताजपोशी और डीएम अवस्थी की विदाई

आखिरकार 1989 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी(पुलिस बल प्रमुख) बन गए। पिछले एक साल से डीएम अवस्थी की जगह अशोक जुनेजा को राज्य का पुलिस प्रमुख बनाए जाने की चर्चा चल रही थी। भूपेश सरकार में पावरफुल एक लॉबी अशोक जुनेजा के लिए रास्ता बनाने में लगी थी। कहते हैं कवर्धा, बिलासपुर की घटना के साथ गांजा तस्करी, हुक्का बार और राज्य में बढ़ते अपराध डीएम अवस्थी के लिए वाटरलू साबित हो गए और जुनेजा के चहेतों को मौका मिल गया। कहा जा रहा है 1986 बैच के अवस्थी सबसे सीनियर होने के बाद भी पुलिस महकमे में शीर्ष स्तर पर गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाए, उल्टे पार्टी बन गए। चर्चा है कि अवस्थी के खिलाफ आरके विज, संजय पिल्लै, पवनदेव से लेकर कई बड़े अफसर खड़े दिखाई दिए। रमन राज में ख़ुफ़िया प्रमुख रहे अशोक जुनेजा अब भूपेश बघेल के पुलिस प्रमुख बन गए हैं। पद के साथ उनको कांटो का ताज भी मिला है। प्रदेश में कानून व्यवस्था दुरस्त करने के साथ पुलिस के प्रति लोगों का भरोसा जगाने, पुलिस की छवि चमकाने और महकमे की गुटबाजी खत्म करने की चुनौती उनकी बाट जोहते खड़ी है। अब देखते हैं जुनेजा अनुभव और शालीनता से अपनी लकीर बड़ी कैसे खींचते हैं?

अब मुख्य सचिव को लेकर कयासबाजी

डीएम अवस्थी को डीजीपी के पद से हटाए जाने के बाद नए मुख्य सचिव के बारे में भी कयास लगाए जाने लगा है। कहा जा रहा है कि 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू को भूपेश सरकार जनवरी 2022 के बाद मुख्य सचिव बना सकती है। सुब्रत साहू जनवरी में 30 साल की सेवा पूरी कर लेंगे। अभी वे अपर मुख्य सचिव गृह,पर्यावरण और पीएचई के साथ मुख्यमंत्री के भी सचिव हैं। वर्तमान में 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन मुख्य सचिव हैं। भूपेश सरकार ने उन्हें एक दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव बनाया है। वे जून 2025 में रिटायर होंगे, उनका अभी लंबा कार्यकाल है, पर भूपेश सरकार की कार्यशैली को देखकर लोग प्रशासनिक अफसरों की स्थिरता पर निश्चिंत नहीं रहते। राज्य में भूपेश सरकार बनने के बाद अमिताभ जैन चौथे मुख्य सचिव हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रिटायर होने से पहले ही अजयसिंह को मुख्य सचिव पद से हटा दिया , उसके बाद सुनील कुजूर और आरपी मंडल को मुख्य सचिव बनाया गया। दोनों का कार्यकाल छोटा रहा। अब देखते हैं जनवरी 2022 के बाद क्या होता है ? अभी मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों ही 1989 बैच के अफसर हैं।

नए मुखिया के साथ नई टीम की चर्चा

प्रदेश का डीजीपी बदलने के बाद अब कुछ जिलों के एसपी बदले जाने की अटकलें हैं, वहीँ पुलिस मुख्यालय में नए मुखिया के साथ नए टीम की बात चल रही है। नए डीजीपी अशोक जुनेजा से सीनियर स्वागत दास और रवि सिन्हा भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। मुकेश गुप्ता निलंबित और संजय पिल्लै पुलिस मुख्यालय से बाहर महानिदेशक जेल हैं। जुनेजा से वरिष्ठ आर के विज ही अभी पुलिस मुख्यालय में हैं। वैसे विज इस साल दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे। विज के रिटायरमेंट के बाद 1990 बैच के आईपीएस राजेश मिश्रा डीजी बन जाएंगे। राजेश मिश्रा अभी बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर हैं और दिसंबर में वापस आ जाएंगे। कहा जा रहा है एडीजी पवनदेव और प्रदीप गुप्ता की पीएचक्यू में वापसी हो सकती है। वहीँ चर्चा है कि बिलासपुर, रायपुर समेत कुछ जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले जा सकते हैं। कई आईपीएस ऐसे हैं जो अलग-अलग जिलों में कप्तानी कर अभी भी फील्ड में बने हुए हैं , उनको बदले जाने का संकेत है।

ये कैसा तालमेल ?

कांग्रेस में सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल की बात की जाती है, पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम द्वारा सन्नी अग्रवाल को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किए जाने के बाद भी अब तक सरकार ने उन्हें कर्मकार मंडल के अध्यक्ष पद से नहीं हटाया है। लोग कह रहे हैं, जो पार्टी का सदस्य नहीं है, वह पार्टी के कोटे से सरकारी पद पर कैसे है ? कहा जा रहा है एक कार्रवाई करे और दूसरा चुप्पी साध ले, यही कांग्रेस में सत्ता संगठन में तालमेल है ? चर्चा है कि इस बार सन्नी अग्रवाल से कांग्रेस महासचिव पी एल पुनिया नहीं मिले। कहा तो यह भी जा रहा है कि पुनिया ने सन्नी अग्रवाल को एयरपोर्ट आने से भी मना कर दिया और उनकी दीपावली शुभकामना भी ठुकरा दिया। पुनिया भले कन्नी काटे ,लेकिन कांग्रेस का एक खेमा सन्नी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।

बैरंग लौटे अमरजीत भगत

कहते हैं राज्य के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को मुलाक़ात के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल से समय नहीं मिल पाया। गोयल से बिना मिले ही भगत को दिल्ली से रायपुर लौटना पड़ा। केंद्रीय पुल में अधिक चावल खरीदी ,बारदाने की कमी और अन्य मुद्दों पर पीयूष गोयल से चर्चा के लिए अमरजीत भगत अपने अधिकारियों के साथ दिल्ली गए थे। खबर है कि अमरजीत भगत को इन तमाम मुद्दों पर अफसरों से ही चर्चा कर संतोष करना पड़ा। कहा जाता है पीयूष गोयल राज्यों के मुख्यमंत्रियों को तो तवज्जो देते हैं , लेकिन मंत्रियों का मिल पाना मुश्किल ही होता है। कहते हैं पीयूष गोयल ने एक बार उनसे मिलने गए छत्तीसगढ़ के अफसरों को खूब फटकार लगाईं थी।

झीरम कांड पर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमाई

झीरम हादसे में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट आने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमाई गई है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग ने पिछले छह नवंबर को राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी,राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सरकार को रिपोर्ट भेज दी है,लेकिन भूपेश सरकार ने रिपोर्ट को बिना देखे-पढ़े नए सिरे से दो सदस्यीय न्यायिक जाँच आयोग गठित कर दिया। अब इस आयोग को छह महीने में अपनी रिपोर्ट देनी है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के शहादत वाले इस घटना को आठ साल से अधिक हो गए हैं। घटना की एनआईए ने जांच कर ली है। भूपेश सरकार ने एसआईटी भी बनाई , पर अब तक न तो घटना का कोई क्लू मिल पाया है और न ही कोई दोषी पकड़ में आया है । घटना को लेकर ताश के पत्ते फेंटे जा रहे हैं। भाजपा कह रही है कि मिश्रा आयोग का रिपोर्ट न मानना न्यायपालिका का अपमान है तो कांग्रेस का मानना है, रिपोर्ट अधूरी है। माना जा रहा है झीरम पर नए आयोग के रिपोर्ट आने तक तो ऐसी राजनीति चलती रहेगी।

मनोज सोनी का छतीसगढ़ शासन से मोह ?

कहा जाता है छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जो सबको समाहित कर लेता है और एक बार जो यहां आ जाता है, फिर उसका मन यहीं बस जाने का होता है, छत्तीसगढ़ से ऐसा ही मन लग गया है भारतीय संचार सेवा के अधिकारी मनोज कुमार सोनी का। सोनी जी कई सालों से मंत्रालय में खाद्य विभाग में संयुक्त सचिव रहे। अब सरकार ने उन्हें हटाकर राजस्व सेवा के अधिकारी अभिनव अग्रवाल को पदस्थ कर दिया है। बीएसएनएल से छत्तीसगढ़ शासन में प्रतिनियुक्ति पर आए मनोज कुमार सोनी ने राज्य सरकार में संविलियन के लिए भारत सरकार को आवेदन किया। भारत सरकार ने सहमति नहीं दी तो प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन किया। भारत सरकार इसके लिए भी तैयार नहीं है,पर मनोज सोनी हर हाल में छत्तीसगढ़ सरकार में बने रहना चाहते हैं। अब लोगों को समझ नहीं आ रहा मनोज सोनी का छतीसगढ़ शासन से मोह ?

डीबीटी पर रार

कहते हैं सब्जी-भाजी उगाने और फल -फूल लगाने वाले किसानों को अनुदान का पैसा देने के मसले पर उद्यानिकी विभाग और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की लाइन नहीं मिल पा रही है। चर्चा है कि कृषि मंत्री अनुदान का पैसा सीधे किसानों के खाते में जमा करने ( डीबीटी) के पक्ष में हैं। डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी कृषि उत्पादन आयुक्त रहते यह व्यवस्था बना गईं हैं, पर उद्यानिकी विभाग इस व्यवस्था को बदलने के लिए कृषि मंत्री को कई बार प्रस्ताव भेज चुका है और हर बार कृषि मंत्री उसे नामंजूर कर देते हैं। कहा जाता है कि डीबीटी से उद्यानिकी विभाग के अफसरों और सप्लायर्स दोनों को मलाई नहीं मिल पा रही। इस वजह से व्यवस्था बदलने की कोशिश में लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि डीबीटी से उद्यानिकी विभाग की रौनक चली गई और उद्यानिकी की हरियाली भी नजर नहीं आ रही है।

अवैध प्लाटिंग का खेल

कहा जा रहा है प्रदेश में राजधानी से लेकर कस्बों में अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। खबर है कि इस खेल से रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) भी वाकिफ है और एसएमएस के जरिए लोगों को फंसाने के खिलाफ एक्शन की बात की है। लोगों को भी सचेत रहने को कहा है। कहते हैं राजधानी से कहीं ज्यादा न्यायधानी में अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। वहीँ जांजगीर-चांपा जैसे कस्बाई शहरों में इस खेल को देखकर लोगों की आँखे फटी की फ़टी रह गई।अवैध प्लाटिंग के खेल में ताकतवर राजनेताओं की संलिप्तता को देखकर लोग विरोध के लिए न तो आगे आ पा रहे हैं और न ही किसी से गुहार लगा पा रहे हैं।


(लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

scroll to top