(रवि भोई की कलम से)
कहते हैं छत्तीसगढ़ के कई नेता अपने पुत्र या रिश्तेदारों को राजनीतिक विरासत सौंपने के अभियान में लग गए हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मंत्री रविंद्र चौबे, टीएस सिंहदेव, विधायक सत्यनारायण शर्मा, खेलसाय सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल समेत कई लोगों के नाम की चर्चा है। कहा जा रहा है कि डॉ. चरणदास महंत अगला विधानसभा चुनाव अपने पुत्र को लड़वाना चाहते हैं। खबर है कि मंत्री रविंद्र चौबे भी अपने बेटे को राजनीति के मैदान में प्रोजेक्ट करने लगे हैं, वहीँ मंत्री टीएस सिंहदेव अपने भतीजे के लिए मैदान बना रहे हैं। विधायक खेलसाय सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि वे अपनी बहू को राजनीतिक उत्तराधिकारी बना सकते हैं।
सत्यनारायण शर्मा के बेटे पंकज शर्मा जिला सहकारी बैंक रायपुर के अध्यक्ष हैं और रायपुर ग्रामीण सीट में सक्रिय रहते हैं, ऐसे में कयास लगाए जाने लगा है कि अगले चुनाव में पंकज विधानसभा उम्मीदवार हो सकते हैं।मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश लखमा सुकमा जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। मंत्री अमरजीत भगत के पुत्र कांग्रेस छात्र ईकाई के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। मंत्री ताम्रध्वज साहू के बेटे-बहू के राजनीति में कदम की हवा है। कहा जा रहा है कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी अपने पुत्र को राजनीति का ककहरा सिखाने लगे हैं। यहां पिता के बाद पुत्र या उनके रिश्तेदार की राजनीति में इंट्री होती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी विधायक और डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह सांसद रहे हैं। वहीं मोतीलाल वोरा के राजनीतिक वारिस अरुण वोरा और श्यामाचरण शुक्ल के अमितेश शुक्ल हैं।
क्या होम कराते हाथ जला बैठे कांग्रेसी ?
कहते हैं धर्म संसद में शरीक होना कुछ कांग्रेसियों के लिए होम कराकर, हाथ जलाने जैसा हो गया। हिंदुत्व की छवि की खातिर कुछ कांग्रेसी भगवा वस्त्र धारण कर फोटो खिंचवाए, तो कुछ ने कालीचरण का सानिध्य भी पाया। भाजपा-कांग्रेस के लोग गलबहिये करते भी दिखे। पत्रं-पुष्पम के साथ न्यौते गए कालीचरण महात्मा गांधी पर टिप्पणी के बाद कांग्रेसियों के लिए कालनेमि बन गए। एफआईआर के बाद खजुराहो में सोते कालीचरण को गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ की पुलिस तो हनुमान जी साबित हो गई और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राष्ट्रीय स्तर पर छा गए, उन्हें भाजपा पर वार का अस्त्र मिल गया। भाजपा के नेता पहले बंगले झांकते रह गए। आरएसएस का डंडा चला तो जागे, तब तक तो चिड़िया चुग गई खेत वाली कहावत हो गई। भाजपा के नेता बृजमोहन अग्रवाल कालीचरण के पक्ष में आवाज उठाकर माहौल खींचने की कोशिश की , लेकिन भूपेश का दांव भारी पड़ गया। महात्मा गांधी जी पर गलतबयानी मामले पर कालीचरण जेल की सलाखों में कब तक रहते हैं और उन्हें सजा क्या होती है , यह तो समय बताएगा , लेकिन फिलहाल तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में कालीचरण एपिसोड से तूफान आ गया है।
नए सिरे से होगा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति का चयन
कहा जा रहा है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति के लिए नए सिरे से पैनल बनाया जाएगा। चर्चा है कि कुलपति चयन के लिए नई समिति बनाई गई है। कांग्रेस नेता अरविंद नेताम की जगह गुजरात के जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को चयन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। दो सदस्य पुराने ही रखे गए हैं। कहते हैं चयन समिति द्वारा सुझाए नामों पर राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके सहमत नहीं हुई, उन्होंने नए नामों का पैनल देने का निर्देश दिया, पुरानी समिति उसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद तीन सदस्यीय नई कमेटी बनाई गई। नई कमेटी से नामों का पैनल मिलने के बाद ही कृषि विश्वविद्यालय कुलपति का फैसला हो सकेगा, तब तक प्रभारी कुलपति से ही विश्वविद्यालय का कामकाज चलता रहेगा। अभी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. एस.एस. सेंगर हैं।
कलेक्टर की फटकार
कहते हैं एक नेता पुत्र की मध्यस्थता और एक कलेक्टर की फटकार से एक व्यक्ति को एक बड़ी कंपनी में रुका उसका करीब तीन करोड़ रूपया मिल गया। कहते हैं नेता पुत्र के कहने पर कलेक्टर ने कंपनी के सीईओ को फटकार लगाई और फैक्टरी बंद करवा देने की चेतावनी दे दी, फिर क्या था कंपनी के कर्मचारी भागते-फिरते नेता पुत्र के क्लाइंट के पास बकाया रकम का चैक लेकर पहुंच गए। चर्चा है कि इस काम के एवज में नेता पुत्र ने कंपनी से मोटा कमीशन ले लिया।
चर्चा में मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम
निज सचिव को हटाने और रखने को लेकर स्कूल शिक्षा, आदिमजाति कल्याण और सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम फिर चर्चा में हैं। विधायकों के निशाने पर आए निज सचिव अजय सोनी को डॉ प्रेमसाय के स्टाफ से हटा दिया गया है, उनकी जगह उद्योग विभाग के कर्मचारी केके राठौर को निज सचिव बनाया गया है। केके राठौर संयुक्त मध्यप्रदेश में कई मत्रियों के स्टाफ में रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष रहते महेंद्र कर्मा का भी काम किया, लेकिन भाजपा राज में केदार कश्यप के निजी स्टाफ में लंबे समय तक रहे, ऐसे में उनकी वापसी को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही है। मसलन किसकी सिफारिश पर मंत्री स्टाफ में फिर आए, उनके आने का मकसद क्या है ? आदि …. । पर राठौर को निज सचिव बनाने से डॉ. प्रेमसाय सिंह फिर सुर्ख़ियों में हैं।
जल्द बदलेंगे कुछ कलेक्टर
कहते हैं जनवरी के दूसरे हफ्ते में कम से कम आधे दर्जन जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। कुछ सचिव और एमडी भी इधर-उधर होंगे ,क्योंकि 2006 बैच के आईएएस संभवतः अगले हफ्ते में विशेष सचिव से सचिव के तौर पर प्रमोट हो जाएंगे। कहा जा रहा है 2006 बैच के आईएएस के प्रमोशन के लिए 3 जनवरी को कमेटी की बैठक होनी है। चर्चा है कि कलेक्टरों के फेरबदल में लंबे समय से मंत्रालय में पदस्थ आईएएस अफसरों को फील्ड में भेजा जा सकता है। इस बार एक महिला आईएएस को भी मौका मिलने की खबर है।कुछ कलेक्टरों को इधर-उधर करने की कवायद काफी दिनों से चल रही है, लेकिन सरकार पशोपेश में है कि फिलहाल जिलों में विकास को प्राथमिकता देने वाले अफसर भेजे जायं या फिर चुनाव जिताने वाले।
कंबल ओढ़कर घी पीते निगम अध्यक्ष
कहते हैं एक निगम अध्यक्ष से कोई भी हाल-चाल पूछता तो बदहाली का रोना रोते हैं, पर लोग कहते हैं कि अध्यक्ष जी कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं। कहा जा रहा है वे जिस कार्पोरेशन के अध्यक्ष हैं, वहां करीब 300 करोड़ के प्राइवेट काम होते हैं , याने ठेकेदारों के जरिए काम होता है। चर्चा तो यह भी है कि अध्यक्ष जी के सेवा-सत्कार के लिए ठेकेदार तत्पर रहते हैं, फिर अध्यक्ष जी की जेब से फूटी कौड़ी नहीं निकलता। अध्यक्ष जी अगली बार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं , लेकिन दुखी लोग अध्यक्ष जी का पत्ता साफ़ करने में लग गए हैं , कुछ लोग बड़े नेताओं को हाल भी बता आए हैं।
राज्यसभा के लिए लॉबिंग
जून में छत्तीसगढ़ में रिक्त हो रहे राज्यसभा की दो सीटों के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों ने लाबिंग शुरू कर दिया है। कांग्रेस की छाया वर्मा और भाजपा के रामविचार नेताम का कार्यकाल समाप्त होने के कारण दो सीटें खाली हो रही हैं। भाजपा के विधायक काफी काम होने के कारण इस बार दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में आएंगी। पिछली दफे यहां से अजजा वर्ग की फूलोदेवी नेताम और दिल्ली के केटीएस तुलसी को राज्यसभा भेजा गया। इस बार भी यहां से एक राज्य से दूसरा अन्य प्रांत के किसी नेता को भेजा जाता है, इस पर लोग कयास लगा रहे हैं, लेकिन अजा वर्ग के लोग अपने किसी प्रतिनिधि को भेजने के लिए अभी से लॉबिंग शुरू कर दी है। छाया वर्मा को दुबारा राज्यसभा भेजे जाने की संभावना कम बताई जा रही है। पर पिछड़े वर्ग से किसी को भेजा जा सकता है।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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