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कही-सुनी (21 NOV-21): छत्तीसगढ़ के लिए निर्णायक सप्ताह

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


कहा जा रहा है कि आने वाला सप्ताह छत्तीसगढ़ के लिए निर्णायक होगा। सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है। कथित नान घोटाले में राज्य के दो अफसरों को राहत मिल पाती है या नहीं, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट 23 नवंबर को सुनवाई करने वाली है। सुप्रीम कोर्ट में ईडी ( प्रवर्तन निदेशालय ) ने राज्य की जांच एजेंसी और ताकतवर लोगों पर मामले को कमजोर करने समेत कई आरोप लगाए हैं।

नान केस में उलझे दोनों अफसर भूपेश सरकार में काफी पावरफुल कहे जाते हैं। फिलहाल दोनों अग्रिम जमानत पर हैं और दोनों से पूछताछ के लिए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से रिमांड पर लेने की मांग की है। माना जा रहा सॉलिसिटर जनरल ने राज्य के कई ताकतवर लोगों के व्हाट्सअप चैट कोर्ट में पेश कर इस मामले को गंभीर बना दिया है। कहते हैं राज्य में सत्तासीन कुछ लोग दोनों अफसरों को बचाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। बड़े-बड़े वकीलों और कानूनविदों से राय -मशविरा में लगे हैं। कांग्रेस के सांसद और वकील से राज्य के एक ताकतवर नेता की मुलाक़ात खासी चर्चा में है।

फिर गरमाई सत्ता परिवर्तन की राजनीति

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की मुलाक़ात के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन की राजनीति फिर गरमा गई है। सिंहदेव से मुलाक़ात से कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सोनिया गांधी से भेंट की थी। पिछले कुछ महीनों में राज्य के कुछ और नेता भी श्रीमती गांधी से मिले,लेकिन सिंहदेव की मुलाकात सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

रिसाली निगम पर मंत्री की पुत्रवधु की नजर

कहते हैं राज्य के एक मंत्री रिसाली नगर निगम के महापौर का चुनाव अपनी बहू को लड़वाना चाहते हैं। भिलाई के कुछ हिस्से को अलग कर रिसाली नगर निगम बनाया गया है। पहली बार यह अस्तित्व में आया है। मंत्री की पुत्रवधु का कांग्रेस की राजनीति में कोई खास पकड़ जैसी बात नहीं है, पर मंत्रीकी पुत्रवधु होने से राजनीति खून में तो आ ही गया है और इच्छा भी जाग गई है। वैसे मंत्री पुत्र अपने पिता के विभागों में दखलंदाजी के लिए चर्चित हैं। कहा तो यह भी जाता है कि मंत्री जी ने ही कुछ समय पहले अपने तीन पुत्रों को अपने तीन विभागों का काम बांट दिया था। हो-हल्ला के बाद बेटों को परदे के पीछे रखा गया।

बेटे की लांचिंग में लगे मंत्री जी

कहते हैं प्रदेश के एक सीनियर मंत्री अपने बेटे को राजनीति का ककहरा सिखाने में लग गए हैं। चर्चा है कि मंत्री जी अपने क्षेत्र के लोगों के बीच दीपावली मिलन के वक्त अपने पुत्र को सामने लाया है। मंत्री जी विधानसभा क्षेत्र के लोगों से हर साल दीपावली मिलते हैं। अब तक तो मंत्री जी अकेले होते थे , पहली बार उनके साथ उनका पुत्र भी नजर आया। वैसे मंत्री जी की कई पीढ़ियां राजनीति में सक्रिय रही हैं और रिश्तेदार भी राजनीति में हैं। बेटा राजनीति में आता है , तो कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए,पर यह उनकी तीसरी पीढ़ी का नेता होगा।

आईएएस महाप्रबंधक के मायने

2014 बैच के आईएएस अमृत विकास टोपनो के बाद अब 2015 बैच के आईएएस डी. राहुल वेंकट भी एक सरकारी संस्था के महाप्रबंधक बनाए गए हैं। अमृत टोपनो राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक हैं। राहुल वेंकट को सीजीएमसी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन) का महाप्रबंधक प्रशासन बनाया गया है। दोनों सरकारी उपक्रमों में प्रबंध संचालक आईएएस हैं। कहते हैं सीजीएमसी में महाप्रबंधक प्रशासन से ज्यादा पावरफुल महाप्रबंधक तकनीकी होता है और उसी की पूछपरख भी होती है। उस पद पर नान आईएएस है। ऐसे में कहा जा रहा है कि 6-7 साल की सेवा वाले आईएएस को दूसरे दर्जे के पद पर पदस्थ करने के क्या मायने हैं ?

2003 बैच के आईपीएस बने आईजी

देर आयद, दुरस्त आयद की तर्ज पर 2003 बैच के आईपीएस अफसर लंबे इंतजार के बाद आईजी के तौर पर प्रमोट हो गए। 2003 बैच के अधिकारियों का प्रमोशन जनवरी 2021 में होना था, उन्हें 10 महीने से ज्यादा इंतजार करना पड़ा। सरकार ने 2003 बैच के अफसर सुंदर राज पी., रतनलाल डांगी और ओपी पाल को पदोन्नति से पहले ही रेंज में प्रभारी आईजी के तौर पर तैनात कर रखा है। 2007 बैच के चार आईपीएस अफसरों को भी डीआईजी बना दिया गया है। इनमें जितेंद्र सिंह मीणा बस्तर के एसपी और दीपक कुमार झा बिलासपुर के एसपी हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए तीन अफसरों के साथ 2008 बैच के आईपीएस अफसरों को भी सीनियर स्केल देने का आदेश हो गया है।

2006 बैच के आईएएस बनेंगे सचिव

कहा जा रहा है कि अगले महीने या फिर जनवरी 22 में 2006 बैच के आईएएस अफसरों की पदोन्नति सचिव के रूप में हो जाएगी। चर्चा है कि 2006 बैच के प्रमोशन के लिए भारत सरकार से सहमति मिल गई है। 2006 बैच के कई अफसर अभी शासन के अलग-अलग विभागों और उपक्रमों में स्वतंत्र प्रभार संभाले हुए हैं। विभागों में विशेष सचिव के रूप में काम कर रहे हैं, वहीँ उपक्रमों में प्रबंध संचालक हैं।

भाजपा में बदलाव संभव

चर्चा है कि 2023 में छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी और संगठन को मजबूत करने के लिए अगले कुछ महीनों में प्रदेश भाजपा में व्यापक परिवर्तन संभव है। कहा जा रहा है पार्टी के शीर्ष नेता राज्य के लिए आक्रामक नेतृत्व तलाश रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का फोकस आदिवासी वोटों पर रहेगा, इस कारण सक्रिय और गतिशील आदिवासी चेहरे पर जोर दिया जा रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव को दो साल बचे हैं। दो साल में कई बदलाव के आसार हैं ,ऐसे में पार्टी अभी धीरे-धीरे कदम बढ़ाते चल रही है। चर्चा है कि उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव के बाद भाजपा हाईकमान छत्तीसगढ़ की तरफ रुख करेगा। इसके पहले वह तैयारियों के साथ रणनीतिक रूप से कई तरह के एक्सरसाइज कर लेना चाहता है।

आदिवासी इलाकों में चमकेगी खेती

कहते हैं कृषि विभाग छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में खेती-किसानी को निखारने के कवायद में जुटा है। इसके लिए कृषि विभाग को विश्व बैंक से अगले पांच साल के लिए 1700 करोड़ मिलेंगे। चिराग परियोजना के नाम से शुरू इस काम में मिलेट मिशन समेत कई प्रोजेक्ट शामिल किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है इस परियोजना के माध्यम से परंपरागत खेती के उलट आधुनिकीकरण पर जोर होगा। चिराग परियोजना के पहले चरण में बस्तर और सरगुजा संभाग के सभी जिलों के साथ मुंगेली और बलौदाबाजार को शामिल किया गया है।

मालवीय रोड की दुकानों का कब्जेदार बदला

चर्चा है कि एक कांग्रेसी नेता का रिश्तेदार मालवीय रोड की कई दुकानों को खरीद लिया है। ये दुकानें एक बड़े व्यापारी की थीं, जिसका मालिक अब कांग्रेसी नेता का रिश्तेदार बन गया है। इन दुकानों में मालवीय रोड के कई व्यवसायी सालों से किरायेदार हैं। कहते हैं कांग्रेसी नेता के रिश्तेदार ने व्यवसायियों को दुकान का किराया बढ़ाकर देने या खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। कहा जा रहा है कांग्रेसी नेता का यह रिश्तेदार राजधानी में जमीन-दुकान खरीदने में मशहूर हो चुका है।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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