रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने से पैदा हुई अनिश्चितता को देखते हुए सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बारे में कोई भी निर्णय निवेशकों के हितों को ध्यान में रखकर ही करेगी.
LIC के आईपीओ की समयसीमा के बारे में पुनर्विचार करती नजर आ रही है सरकार
निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ चालू वित्त वर्ष में ही लाना चाहती है लेकिन मौजूदा स्थिति काफी गतिशील हो चुकी है. सरकार इसे मार्च 2022 में ही लाने की तैयारी में लगी हुई थी लेकिन यूक्रेन संकट से शेयर बाजारों में मची आपाधापी को देखते हुए वह इस पर पुनर्विचार करती हुई नजर आ रही है.
एलआईसी आईपीओ से 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाएगी सरकार
सरकार एलआईसी में अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने की उम्मीद लगाए हुए है. उसका वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 78,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है जिससे वह अभी बहुत पीछे चल रही है.
निवेशकों के हित में ही उठाएंगे कदम
पांडेय ने ‘प्रतिस्पर्द्धा कानून के अर्थशास्त्र, 2022’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में कहा, “इस समय कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हो रही हैं. हम बाजार पर करीबी निगाह रखे हुए हैं और सरकार जो भी कदम उठाएगी वह निवेशकों और आईपीओ के हित में ही होगी.”
प्रोफेशनल्स से ली जा रही है सलाह
उन्होंने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में ही यह आईपीओ लाना चाहती है लेकिन इस संकट के आ जाने से हालात बेहद परिवर्तनशील हो गए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में सजग रहने और उसके हिसाब से रणनीति बनाने की जरूरत है. तुहिन पांडेय ने कहा कि इस बारे में सरकार पेशेवर परामर्शदाताओं की सलाह ले रही है और निवेशकों और हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा.
दीपम के सचिव ने कहा, “एलआईसी सिर्फ कोई रणनीतिक निवेश न होकर एक बेहद महत्वपूर्ण घटना है. एलआईसी बहुत पुराना संगठन होने के साथ ही इसका सार्वजनिक स्वामित्व भी बहुत व्यापक है.”
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