रवि भोई की कलम से
कहा जा रहा है रायपुर में 24 से 26 फ़रवरी तक आयोजित कांग्रेस के महाधिवेशन में 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत और मोदी सरकार से मुकाबला का मंत्र तलाशा जाएगा। महाधिवेशन में इस साल छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव पर भी चर्चा होगी। माना जा रहा है कि विधानसभा से ज्यादा लोकसभा चुनाव पर चिंतन-मनन ज्यादा होने वाला है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार रायपुर में कांग्रेस का विशाल और भव्य जलसा हो रहा है। रायपुर अधिवेशन से हिंदी भाषी राज्यों के साथ दक्षिण राज्य भी सधने की बात कही जा रही है। रायपुर तीन दिन के लिए मिनी भारत बन गया। महाधिवेशन में हर प्रांत के वेशभूषा वाले नजर आए। महाधिवेशन से कांग्रेस की दिशा क्या तय होती है, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन महाधिवेशन के आयोजन से छत्तीसगढ़ और रायपुर देशभर में छा गया। इस आयोजन से कांग्रेस की राजनीति में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी कद बढ़ गया।
रविशंकर विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति पर सवाल
पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति पद पर अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के फिजिक्स के प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद शुक्ला की नियुक्ति पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। एक तो छत्तीसगढ़िया और गैर छत्तीसगढ़िया का मुद्दा उछलने लगा है, वहीं तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके की हड़बड़ी पर भी उंगुली उठने लगी है। कहा जा रहा है कि अनुसुइया उईके ने यह फैसला नए राज्यपाल पर क्यों नहीं छोड़ा। अनुसुइया उईके को मणिपुर का राज्यपाल बनाए जाने का फैसला 12 फ़रवरी को हो गया था, फिर 14 फ़रवरी की तारीख में रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी हो गया। यह आदेश अनुसुइया उईके की विदाई के दिन ही सार्वजानिक हुआ। वैसे रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरीलाल लाल वर्मा का कार्यकाल एक अप्रैल को समाप्त हो रहा है। चर्चा है कि रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति आदेश जारी करने में कुछ दिन विलंब हो जाता तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।
पत्रकार भी संदेह में
कहते हैं कांग्रेस के एक प्रवक्ता के ईडी के लपेटे में आने से कुछ पत्रकार भी संदेह में आ गए हैं। चर्चा है कि ईडी के जाल में फंसे प्रवक्ता मीडिया मैनेजमेंट में लगे रहते थे और कुछ पत्रकारों के सेवा-सत्कार में पैसा खर्च करते थे। माना जा रहा है कि प्रवक्ता की सेवा का लाभ लेने वाले पत्रकार ईडी के राडार में हैं और उनसे भी पूछताछ हो सकती है। खबर है कि प्रवक्ता के करीबी कहे जाने वाले एक पत्रकार को उसके संस्थान ने रायपुर से ट्रांसफर भी कर दिया है।
प्रो एक्टिव प्रधानमंत्री मोदी
कहते हैं रायपुर में कांग्रेस के महाधिवेशन के आयोजन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ को लेकर काफी एक्टिव हो गए हैं। इसका नमूना 24 फ़रवरी को देखने को मिला।24 फ़रवरी से रायपुर में कांग्रेस का महाधिवेशन शुरू हुआ। बलौदाबाजार जिले में 24 फ़रवरी को हुई सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपए की तत्काल मदद स्वीकृत की गई। पीएमओ ने ट्वीट कर इसकी जानकारी भी साझा किया। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। खबर है कि प्रधानमंत्री मोदी जल्दी ही आईआईटी भिलाई की नई बिल्डिंग के उद्घाटन के बहाने छत्तीसगढ़ आ सकते हैं।
नई-पुरानी पेंशन योजना में उलझे कर्मचारी
कहा जा रहा है कि 2004 के बाद नियुक्त छत्तीसगढ़ के कर्मचारी नई-पुरानी पेंशन योजना को लेकर उलझ गए हैं। नई-पुरानी पेंशन योजना के ऑप्शन के लिए सरकार ने कर्मचारियों को 24 फ़रवरी तक समय दिया था , जिसे बढाकर अब 05 मार्च तक कर दिया गया है। पुरानी पेंशन योजना लागू कर सरकार कर्मचारियों का दिल जीतना चाह रही है, लेकिन जिस तरह कर्मचारी पशोपेस में पड़े हैं, उसको देखकर लगता है कि यह योजना कर्मचारियों को लुभा नहीं पाई । कहते हैं सुरक्षित भविष्य के लिए पति-पत्नी कर्मचारी में एक नई तो एक पुरानी पेंशन योजना का चयन कर रहे हैं।
छापे और कारोबारी
कहते हैं कांग्रेस नेता के यहां ईडी के छापे से छत्तीसगढ़ के कुछ कारोबारियों ने मिठाई बांटी। चर्चा है कि कांग्रेस नेता से कारोबारी काफी परेशान हो गए थे। यह अलग बात है कि ईडी की कार्रवाई में कांग्रेस नेता का कुछ नहीं हुआ। न कोई खास दस्तावेज मिला और न ही कुछ नगद मिला। कांग्रेस नेता जरूर दो दिन भूमिगत रहे। वैसे कांग्रेस के महाधिवेशन के पहले कांग्रेस नेताओं के यहां ईडी के छापे को लोग राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं। ईडी ने कांग्रेस के दो नेताओं को पूछताछ के लिए दफ्तर लाई, लेकिन अगले दिन उन्हें छोड़ना पड़ा। लगता है महाधिवेशन के पहले के छापे से ईडी को कुछ हासिल नहीं हुआ। अब संभावना जताई जा रही है कि महाधिवेशन के बाद ईडी का एक्शन तेज होगा।
कांग्रेस महाधिवेशन पर ईडी की छाया
कहते हैं छत्तीसगढ़ में ईडी के छापे के चलते कांग्रेस महाधिवेशन के कई खर्चे एआईसीसी ने सीधे वहन किए और पूरे खर्चे का बाकायदा हिसाब-किताब रखा गया। कुर्सियां तक बाहर से आईं । अख़बारों को विज्ञापन भी एआईसीसी से जारी किया गया। महाधिवेशन के लिए बाकायदा एक शहर बसाया गया था। सम्मेलन के लिए कई वातानुकूलित डोम बनाए गए थे। प्रतिनिधियों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था गई थी। स्वाभाविक है कि इसमें करोड़ों रुपए खर्च हुआ होगा। झंडा-बैनर, स्वागत के पोस्टर स्थानीय नेताओं ने लगवाए , वह अलग है।
भाजपा नेता का चुनावी बजट
कहते हैं भाजपा के एक अग्रवाल नेता ने 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए करीब 25 करोड़ का बजट बना लिया है। यह अलग बात है कि उन्हें टिकट मिलती है या नहीं। भाजपा में कई अग्रवाल नेता टिकट के दावेदार हैं और सभी कुबेरपति भी हैं। अब देखते हैं भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में कितने अग्रवालों को मैदान में उतारती है। चुनावी बजट तय करने वाले अग्रवाल नेता पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो फिर निर्दलीय भाग्य आजमाएंगे। वैसे भाजपा के कई अग्रवाल नेता टिकट की चाहत में धार्मिक आयोजनों का सहारा ले रहे हैं, जिससे पार्टी को उनकी ताकत का अहसास हो और पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाए।