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शीतकालीन सत्र :लाइवलीहुड कॉलेज में डीएमएफ फंड की राशि का बंदरबाँट मामला, विस स्पीकर ने दिए जाँच के आदेश

रायपुर। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग के नाम पर डीएमएफ फंड की राशि का बंदरबाँट का मामला गूंजा. सत्तापक्ष और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप के बीच स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने मंत्री को पिछली सरकार के पाँच साल के दौरान और वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक खर्च की जांच कराने का निर्देश दिया. बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने मामला उठाते हुए सवाल किया कि लाइवलीहुड कॉलेज को 18 करोड़ का भुगतान किया गया. ये राशि की बंदरबाँट है. एक व्यक्ति की ट्रेनिंग के लिए दस हज़ार रुपए खर्च किए गए. 17 हज़ार 874 लोगों की ट्रेनिंग एक लाइवलीहुड कॉलेज से दी गई. मधुमक्खी पालन, मछलीपालन, जूट उत्पादन, ग्राम सभा विकास प्रशिक्षण जैसी ट्रेनिंग दिलाई गई, लेकिन क्या ट्रेनिंग के बाद उनका रोज़गार शुरू हुआ. उनका उत्पाद कहाँ ख़रीदा गया. उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने इस पर अलग से जानकारी देने की बात कही.

सौरभ सिंह ने कहा कि डीएमएफ़ की राशि निकालकर रोज़गार सृजन के नाम से पैसा दिया गया. कलेक्टर पैसे का बंदरबाँट कर रहे हैं. सरकार पटवारियों के पीछे पड़ी है जबकि कलेक्टरों के पीछे पड़ना चाहिये. इस पर मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि प्रशिक्षण में किसी तरह की अनियमितता की जानकारी है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने चर्चा में शामिल होते हुए कहा सिर्फ़ मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए 52 लाख रुपए खर्च कर दिये गये. 29-30 जून को ही 30 करोड़ रुपए के काम जारी कर दिये गये. ये गंभीर मामला है. सदन की कमेटी से जाँच करा दी जाये. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि एक ज़िले में 30 करोड़ रुपये तक का काम डीएमएफ के जरिए कलेक्टर कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पचास फ़ीसदी तक कमीशन डीएमएफ में लिए जा रहे हैं. पूरे प्रदेश भर में इसकी ठीक से जाँच करा दी जाये तो ये क़रीब एक हज़ार करोड़ का बड़ा घोटाला निकलेगा. इसकी जाँच सदन की कमेटी से कराई जानी चाहिए. मंत्री पटेल ने कहा कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कौशल विकास और प्रधानमंत्री कौशल विकास में सिर्फ़ भ्रष्टाचार किया गया. प्रशिक्षण केंद्र एक कमरे में चलता था. अजय चंद्राकर ने इस पर कहा कि सरकार में आप बैठे हैं. जाँच क्यों नहीं कराई. दोनों मामलों की जाँच करा लें. इस पर स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने मंत्री को निर्देश दिया कि पिछली सरकार के पाँच साल में प्रशिक्षण के नाम पर हुए खर्च और इस सरकार में अब तक हुए खर्च की जाँच कराई जाए.

 

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