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मकर संक्रांति पर शनिदेव की पूजा से दूर होगी शनि की अशुभता

मकर संक्रांति 2021: मकर संक्रांति का पर्व पंचांग और ज्योतिष गणना पर आधारित है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस प्रक्रिया को मकर संक्रांति कहा जाता है. सूर्य इस जब मकर में आते हैं तो सूर्य का उदय होता है.

पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पौष मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा. मकर संक्रांति पर ग्रहों का विशेष संयोग बन बन रहा है. इस दिन मकर राशि में पंच ग्रही योग योग बन रहा है. जो कई वर्षों के बाद बन रहा है. इस पंच ग्रही योग के कारण इस वर्ष की मकर संक्रांति विशेष मानी जा रही है.

मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य के साथ गुरु, शनि, बुुध और चंद्रमा एक साथ विराजमान रहेंगे.

मकर राशि में शनि का गोचर है. शनि 7 जनवरी 2021 को अस्त हो चुके हैं. शनि के अस्त होने से शनि का प्रभाव कम हो जाता है. मकर राशि को छोड़कर शेष अन्य राशियां जिन पर शनि की दृष्टि है उन्हें आराम मिल सकता है.

मकर संक्रांति पर बन रहे हैं ग्रहों के संयोग के कारण शनि देव की पूजा का विशेष फल इस दिन प्राप्त किया जा सकता है. शनि देव की पूजा और शनि का दान शनि की अशुभता को कम करने में सहायक साबित होगा. पौराणिक कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं. इसलिए इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.

मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसलिए इन राशियों के जातकों को मकर संक्रांति पर शनि पूजा करने से लाभ मिलता है.

पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर प्रात: 8.30 से शाम 5.46 बजे तक है.

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