नई दिल्ली : तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई. इस बैठक में ये तय किया गया है कि ये कमेटी किसानों के साथ 21 जनवरी को पहली बैठक करेगी, जो सुबह 11 बजे शुरू होगी. जो किसान बैठक में नहीं आ सकते हैं उनका मत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिया जाएगा. कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने ये जानकारी दी.
अनिल घनवट ने कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि हमें सभी किसान संगठनों (जो कानूनों का समर्थन कर रहे हैं और जो कानूनों का विरोध कर रहे हैं), हितधारकों को सुनना है और रिपोर्ट तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को भेजनी है.” उन्होंने कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा , ‘‘समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को हमसे बातचीत के लिए तैयार करने की होगी. हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘‘ समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय को अलग रखेंगे.”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही गतिरोध खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी. हालांकि, किसान संगठनों ने कमेटी से बात करने से इनकार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल घनवट के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को इस समिति का सदस्य बनाया. बाद में भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया.
बता दें कि बुधवार को सरकार और किसानों के बीच 10वें दौर की बैठक होनी है. ये बैठक आज मंगलवार को ही होनी थी लेकिन इसे टाल दिया गया. अभी तक सरकार और किसान संगठन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 55 दिनों से जारी है.