बजट में प्रॉविडेंट फंड में ढाई लाख रुपये के कंट्रीब्यूशन पर टैक्स प्रावधान ने टैक्स छूट वाले इस फिक्स्ड इनकम रिटायरमेंट फंड का आकर्षण कम कर दिया है लेकिन वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड अब भी निवेशकों के लिए फायदे का सौदा है . निवेशकों को अब नई स्ट्रेटजी के साथ इसमें निवेश करना होगा ताकि वे इसका अधिकतम लाभ ले सकें.
वीपीएफ से ज्यादा ब्याज इस समय सिर्फ पीपीएफ में मिल रहा है. वीपीएफ में ईपीएफ की तरह ही 8.5 फीसदी का ब्याज मिलता है लेकिन पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) में यह ब्याज दर 7.1 फीसदी है. वीपीएफ में निवेश पर 8.5 फीसदी का रिटर्न जरूर है लेकिन 30 फीसदी टैक्स देनदारी वालों के लिए यह टैक्स कटौती के बाद 5.8 फीसदी बैठती है. पीपीएफ में ब्याज 7.1 फीसदी है लेकिन इस पर टैक्स नहीं लगता. हालांकि निवेश की सीमा 1.5 लाख रुपये है. इससे इसका असर कम हो जाता है.
जो निवेशक वीपीएफ में ज्यादा से ज्यादा रकम जमा कर रहे हैं उन्हें अब स्ट्रेटजी बदलनी चाहिए. सबसे पहले तो यह देखें कि आपको ईपीएफ में कितना निवेश करना जरूरी है. 2.5 लाख से इस रकम को घटा कर बाकी रकम वीपीएफ में जमा करें ताकि टैक्स के दायरे में न आएं. अब अगर ढाई लाख रुपये की सीमा से ज्यादा निवेश करना हो तो इसे पीपीएफ में डालें. इसमें आपको ज्यादा रिटर्न मिलेगा. वीपीएफ निवेशकों के लिए सुविधाजनक है क्योंकि इसमें कंट्रीब्यूट करना आसान है. यह आपकी सैलरी से कट जाता है और निवेश सुरक्षित है.
पीपीएफ में वीपीएफ से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है लेकिन याद रखिये इसमें निवेश सिर्फ डेढ़ लाख रुपये तक ही सीमित है. बाकी दूसरे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में टैक्स अदायगी के बाद सबसे ज्यादा रिटर्न अभी भी वीपीएफ में हैं. यहां दिए गए आंकड़ों से यह साफ है
इंस्ट्रूमेंट्स ब्याज दर (%) 30 फीसदी टैक्स दायरे के निवेशकों का रिटर्न (%)
वीपीएफ 8.5 5.8
आरबीआई बॉन्ड 7.15 4.9
किसान विकस पत्र 6.9 4.7
एनएससी 6.8 4.7
बैंक एफडी 6.5 4.5
इन आंकड़ों के आधार पर आप निवेश का फैसला कर सकते हैं.