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अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संसद में उठी आवाज़, महिला सांसदों ने की 50 फीसदी आरक्षण की मांग

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज संसद के बजट सत्र के दौरान शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई महिला सांसदों ने संसद में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की मांग की. महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद ने कहा कि मोदी सरकार में महिलाओं के हित में बहुत काम हुए. वहीं कांग्रेस ने कहा कि राजीव गांधी ने भी देश की महिलाओं के लिए काफी काम किया था.

आज सदन की कार्यवाही में सबसे पहले महिलाओं को बोलने का मौका दिया गया. इस दौरान बीजेपी सांसद सरोज पांडे ने कहा कि मोदी राज में महिलाएं सशक्त हुई हैं. वहीं, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘’24 साल पहले हमने संसद में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रस्ताव रखा था. आज 24 साल बाद हमें संसद और विधानसभा में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देना चाहिए.’’

संसद में बीजेपी सांसद सरोज पांडेय ने भ्रूण हत्या और तीन तलाक़ जैसे मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि महिलाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. मोदी सरकार के कार्यकाल में महिलाएं सशक्त हुई हैं. मोदी ने बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ शुरू किया, जिससे महिलाओं की स्थिति सुधरी है.

एनसीपी सांसद डॉ फौजिया खान ने कहा, ‘’कई सारी रिपोर्ट में सामने आया है कि 6 फीसदी से ज्यादा महिलाएं लीडरशिप रोल में हैं. हमें इसके बारे में सोचना चाहिए. हम लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देकर हम एक शुरुआत कर सकते हैं.”

वहीं, इससे पहले महिला दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भोपाल में महिला सफाई कर्मचारियों के साथ झाड़ू लगाई. भोपाल के नेहरू नगर में सफाई कर्मचारी सीएम शिवराज को अपने बीच पाकर काफी खुश दिखीं. शिवराज सिंह चौहान से बातचीत में महिलाओं ने बताया कि उन्हें यही उम्मीद है कि लोग उन्हें सम्मान दें और उनके काम को सम्मान से देखें.

साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई. इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया था. एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया.

1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे-धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय होने लगा. इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता 1975 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक थीम के साथ मनाने की शुरूआत की.

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