कोरोना संक्रमण की वजह से अर्थव्यवस्था पर लगी चोट का सबसे गहरा असर रोजगार पर पड़ा है. सरकार के लिए तेजी से रोजगार पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है . यही वजह है कि वह सबसे ज्यादा जोर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर लगा रही है. चूंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिलता है. इसलिए इन परियोजनाओं के लिए बेहतर फंडिंग की भी जरूरत है. सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की फंडिंग के लिए ऐसी व्यवस्था करना चाहती है ताकि परियोजनाओं में देरी न हो.
भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडिंग का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. बैंक लंबी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को कम कर्ज देते हैं. सिस्टमेटिक फाइनेंसिंग की पुख्ता व्यवस्था न होने से सरकार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की फाइनेंसिंग बड़ी दिक्कत है. सरकार ने अब इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूट को स्थापित करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है. डीएफआई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को सस्ती और लंबी अवधि के लिए कर्ज मुहैया कराएगा. इसके अलावा प्रोजेक्ट की री-स्ट्रक्चरिंग और क्लोजर भी डीएफआई की जिम्मेदारी होगी. डीएफआई का एक प्रोफेशनल बोर्ड होगा. डीएफआई को दस साल के लिए टैक्स में छूट भी मिलेगी. उम्मीद है डीएफआई से सरकार की इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडिंग काफी हद तक पूरी हो सकेगी.
सरकार का कहना है कि इस कदम से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में मांग बढ़ेगी. इससे इस मार्केट में डिमांड बढ़ेगी और रोजगार में भी इजाफा होगा. सरकार का मानना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अर्थव्यवस्था की रिकवरी में मददगार साबित होंगे.इससे रिकवरी तेज होगी और बड़ी तादाद में रोजगार भी पैदा होगा. देश में सड़क, पुल, बिजली परियोजना समेत कई बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की शुरुआत जल्द होगी.