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कही-सुनी (26 MARCH-22): खैरागढ़ में दूल्हे से ज्यादा बारातियों की चर्चा

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


खैरागढ़ उपचुनाव में दूल्हे से ज्यादा बारातियों की चर्चा होने लगी है, क्योंकि यहां कांग्रेस और भाजपा के हेवी वेट स्टार प्रचारकों की प्रतिष्ठा जुड़ गई है। कांग्रेस ने यहां नया चेहरा और महिला प्रत्याशी यशोदा वर्मा पर दांव चला है, तो भाजपा ने पुराना चावल कोमल जंघेल को मैदान में उतारा है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी कांग्रेस) ने नरेंद्र सोनी को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन लोग उन्हें हल्के में ले रहे हैं। कहा जा रहा मुकाबला तो कांग्रेस और भाजपा में रहेगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए यह उपचुनाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इस उपचुनाव में 2023 के विधानसभा चुनाव का राज छिपा है। सत्ता में आने के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अब तक तीन उपचुनाव जीतकर भाजपा को चित्त करने के साथ जोगी कांग्रेस के गढ़ को ढहा चुकी है। खैरागढ़ में रण जीतने के लिए जिस तरह भाजपा ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रह्लाद पटेल समेत 40 लोगों को जिम्मेदारी सौंपी है, उससे लग रहा है संग्राम तो रोचक होगा।

कांग्रेस ने भाजपा से मुकाबले के लिए 27 स्टार प्रचारक तय किए हैं, पर सारा दारोमदार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ही रहेगा। कहा जा रहा है कि खैरागढ़ विधानसभा में राजपरिवार के प्रभाव के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैंपेनिंग में लगाया गया है, वहीँ लोधी वोट खींचने के लिए लोधी नेता प्रह्लाद पटेल की ड्यूटी लगाईं गई है। कहते हैं खैरागढ़ में सर्वाधिक मतदाता लोधी हैं। माना जा रहा है शिवराजसिंह को जिम्मेदारी मिलने से धन और रणनीति में भी भाजपा पीछे नहीं रहेगी। चार राज्यों में जीत से बाग़-बाग़ भाजपा यहां कवर्धा कांड का कवच पहनने की फिराक में है। कांग्रेस के मंत्री और रणनीतिकार भी दांवपेंच में लगे हैं। नतीजा तो 16 अप्रैल को ही सामने आएगा, लेकिन एक बात साफ़ है कि यहां दंतेवाड़ा, चित्रकोट और मरवाही से उलट मुकबला नजर आने लगा है।

आम आदमी पार्टी की आहट

2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जोर-शोर से पत्ते फेंके थे। बस्तर के एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया गया था। तब दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने यहां खूब चक्कर काटे थे। पंजाब में आप की जीत के बाद परिस्थिति काफी बदल गई है। कांग्रेस-भाजपा के दुखी-उपेक्षित आप से जुड़ने की सोचने लगे हैं तो जनता भी आम आदमी पार्टी को दिमाग में बैठाने लगी है। लोरमी निवासी प्रोफेसर संदीप पाठक को पंजाब से राज्यसभा भेजने के फैसले ने छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए चुंबक का काम किया है। फिल्म “कश्मीर फाइल्स” को लेकर दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भाषण की लोग चर्चा करने लगे हैं। इससे साफ़ है कि छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के लिए दरवाजा खुलने लगा है। जोगी कांग्रेस ने तीसरी शक्ति के रूप में उभरने की कोशिश की , लेकिन अजीत जोगी के निधन के बाद ब्रेक लग गया। बहुजन समाज पार्टी एक क्षेत्र में सिमटने के साथ उसके पास यहां चमत्कारिक नेता भी नहीं हैं। लोग कह रहे हैं आम आदमी पार्टी 2023 में भले कुछ न कर सके, लेकिन आने वाला समय उसके लिए ठीक लग रहा है। लोग यहां भ्रष्टाचार व बेरोजगारी की समस्या के आलावा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान दिखते हैं।

पैर पर कुल्हाड़ी मारा अफसर ने

कहते हैं नेताओं की आपसी खींचतान से बीज निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड फर्म को भुगतान का मामला विधानसभा में मुद्दा बन गया। कहा जाता है जिस अफसर ने फर्म को ब्लैक लिस्टेड किया था, उसी ने भुगतान कर दिया, वह भी एक नेता के कहने पर। लेकिन जाते -जाते वह अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार गए। इससे संस्था पर भी दाग लग गया। भुगतान के तत्काल बाद अखबारों और सोशल मीडिया में मामला उछला था। वैसे यह फर्म अब भी काली सूची में हैं। माना जाता है कि काली सूची वाले को भुगतान कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को भी नहीं भाया था और सदन में जांच कराने की बात आई तो वे झट से तैयार हो गए। जांच विधानसभा की समिति करेगी। देखते हैं नतीजा क्या निकलता है ?

विधानसभा में गंगराड़े की जगह दिनेश शर्मा

कहा जा रहा है लंबे इंतजार के बाद 31 मार्च को दिनेश शर्मा छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव की कुर्सी संभाल लेंगे। श्री शर्मा प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े का स्थान लेंगे, जिनकी सेवावृद्धि अवधि 31 मार्च को समाप्त होने जा रही है। दिनेश शर्मा के कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही छत्तीसगढ़ को पहला छत्तीसगढ़िया विधानसभा सचिव मिल जाएगा। हालांकि दिनेश शर्मा नवंबर 2020 में ही अपर सचिव से सचिव के रूप में पदोन्नत हो गए थे, लेकिन विधानसभा के प्रशासनिक मुखिया 31 मार्च को बनेंगे। श्री शर्मा विधानसभा के कामकाज के साथ अभी अध्यक्ष के सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। श्री शर्मा ने 1994 में द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में विधानसभा की सेवा शुरू की। दिनेश शर्मा के नेतृत्व में विधानसभा सचिवालय में चेहरों में हेरफेर के साथ कई बदलाव की चर्चा है।

अप्रैल के आखिरी हफ्ते में प्रशासनिक फेरबदल?

कहते हैं अप्रैल के आखिरी सप्ताह में कई कलेक्टर और एसपी बदले जाएंगे। खैरागढ़ उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को मतदान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेशभर का दौरा कर कार्यकर्ताओं और आम लोगों से बातचीत कर जमीनी हकीकत को जानेंगे। इसके बाद जिलों में 2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग होगी। इस बार कई बड़े जिले प्रभावित होने के संकेत हैं। ऐसे कलेक्टर और एसपी, जो एक ही जिले में लगातार दो या तीन साल रह चुके हैं, उनका वहां से हटना तय माना जा रहा है। जिले में फेरबदल की संभावनाओं के साथ जिलों में जाने के लिए अफसरों की लॉबिंग भी शुरू हो गई है। चर्चा है कि दो महिला आईएएस इस बार हर हाल में कलेक्टर बनना चाहती हैं। एक महिला आईएएस आदिवासी इलाके के और एक मैदानी इलाके के जिले में जाने की इच्छुक बताईं जाती हैं। कहा जाता है चार जिलों की कमान संभालने के बाद भी एक महिला आईएएस की कलेक्टरी से मन नहीं भरा है, वहीँ दूसरी महिला आईएएस को एक ही जिले में रहने का सौभाग्य मिला है , ऐसे में उनका भागदौड़ तो बनता ही है। अभी राज्य के तीन जिलों में महिला आईएएस कलेक्टर हैं।

समाज कल्याण सचिव और संचालक एक ही बैच के

2006 बैच के आईएएस पी. दयानंद संचालक समाज कल्याण बने रहेंगे या फिर कहीं और पोस्टिंग मिलेगी, इसका लोगों को इंतजार है। दयानंद सचिव के तौर पर पदोन्नत हो गए हैं और उन्हीं के बैच के भुवनेश यादव अभी समाज कल्याण विभाग सचिव हैं। ऐसा आमतौर पर नहीं होता है कि एक ही बैच के आईएएस सचिव और संचालक रहे, हालाँकि भुवनेश यादव को रीना कंगाले के अवकाश अवधि तक के लिए ही समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया गया है। कहा जा रहा है कि 2006 बैच के एलेक्स पाल मेनन के प्रतिनियुक्ति पर जाने से सचिव ग्रामोद्योग का पद रिक्त हो गया है।

निलंबन की घोषणा से झटका

वैसे तो विधानसभा में कई मुद्दे उठते हैं। जांच की घोषणा होती है अफसरों-कर्मचारियों पर कार्रवाई का ऐलान होता है, लेकिन गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में मनरेगा में अनियमितता के लिए जिला पंचायत सीईओ व डीएफओ समेत 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा ने प्रशासनिक अमले को हिला दिया। आमतौर पर सरकार बड़े अफसरों को सस्पेंड करने से बचती है। जांच के बाद एक्शन की बात कर मामले को ठंडा कर देती है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कोई और जांच कराने की जगह सीधे सस्पेंड करने की घोषणा कर देने से प्रशासनिक मशीनरी को जोर का झटका लगा। निलंबन की जद में वन विभाग के कर्मचारी ज्यादा हैं।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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