अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की संभावनाएं अब मजबूत दिखने लगी हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस वित्त वर्ष के दौरान पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन (रिफंड्स समेत) में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कोविड प्रतिबंधों और लॉकडाउन के बावजूद पर्सनल इनकम टैक्स में बढ़ोतरी हुई है लेकिन कॉरपोरेट टैक्स में 6 फीसदी की गिरावट आई है. इस वजह से ग्रॉस टैक्स कलेक्शन वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन आठ फीसदी गिर कर 9.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. हालांकि चार साल में पहली बार संशोधित आकलन (9.05 लाख करोड़ रुपये ) से ज्यादा रहा. हालांकि ये प्रोविजनल आंकड़े हैं. अंतिम आंकड़े अभी नहीं आए हैं. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इन आंकड़ों से साबित होता है कि इकनॉमी उम्मीद से कहीं तेज गति से रिकवरी कर रही है . ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12.1 लाख करोड़ रुपये रह सकता है. जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 12.33 लाख करोड़ रुपये का ग्रॉस टैक्स कलेक्शन पहुंच रहा है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि एडवांस टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी की वजह से पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक ग्रॉस पर्सनल इनकम टैक्स 5.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में यह 5.55 लाख करोड़ रुपये था. दूसरे, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान ग्रॉस कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 6.4 लाख करोड़ रुपये था. जबकि पिछले साल ( 2019-20) के दौरान यह टैक्स कलेक्शन 6.7 लाख करोड़ रुपये का था. हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि वक्त पर लोगों का रिफंड सुनिश्चित करने की वजह से इस बार का पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन कम दिख रहा है. लेकिन संशोधित अनुमान से अधिक टैक्स कलेक्शन अधिक रहने का मतलब है कि टैक्स में बढ़ोतरी हुई है.