रायपुर। पवित्र सप्ताह में सेंट पॉल्स कैथेड्रल में प्रवचन करते हुए दिल्ली के सीएनआई के बिशप पॉल स्वरूप ने कहा कि प्रभु यीशु के बलिदान के पूर्व उनका अभिषेक जिस बहुमूल्य इत्र से किया गया था। वह भारत से वहां निर्यात किया गया था। इसे हिमालय में गंगा नदी के किनारे मिलने वाले खुशबूदार शुद्ध जटामासी से बनाया गया था। यह हमारे लिए फक्र की बात है। पहली शताब्दी में भी हमारे देश से कीमती व बहुमूल्य शुद्ध वस्तुएं विदेशों में एक्सपोर्ट की जाती थीं। हिंदुस्तान से प्रभु का इसी तरह लगाव रहा है। उनके लिए यहां का इत्र इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा उनके एक शिष्य थॉमस भी भारत आए थे। उन्होंने यहां मसीहियत की नींव रखी। दुख भोग सप्ताह के दूसरे दिन बिशप ने पवित्र बाइबिल के मरकुस के अध्याय 14 में वर्णित सच्ची घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि बलिदान के तीन दिन पूर्व ही जब प्रभु यीशु बैतनिय्याह में शिमोन कोढ़ी के घर भोजन करने गए थे। तब एक स्त्री जो वहां आमंत्रित नहीं थी और पुरुष प्रधान समाज से बिना डरे वहां पहुंची। उसके नाम का भी जिक्र नहीं है। उसने वहां संगमरमर के पात्र को तोड़कर उसमें रखे जटामासी के बहुमूल्य शुद्ध इत्र को प्रभू यीशु के सिर पर उंडेल दिया। इस तरह से उसने तत्कालीन प्रथा के अनुसार यीशु के मारे व गाड़े जाने के पूर्व उनका अभिषेक किया। यह घटना उस वक्त के लिए अकल्पनीय थी। इसलिए इस घटना से वहां बैठे समाज के ठेकेदार तिलमिला गए, कि इस बहुमूल्य इत्र को करीब 300 दीनार (वर्तमान मूल्य करीब एक लाख अस्सी हजार रुपए) में बेचकर कंगालों -निर्धनों की मदद की जा सकती थी। लेकिन प्रभु ने उस स्त्री का बचाव करते हुए उसके समर्पण, स्नेह व त्याग की सराहना की।
बिशप पॉल ने बिशप ने समाज में स्त्री की स्थिति को लेकर नजरिया बदलने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि क्या आज हमारे समाज में महिलाएं सुरक्षित हैं। हमारा उनके प्रति नजरिया प्रभु यीशु मसीह के जमाने के याजकों की तरह है जो स्त्री की भक्ति को पैसे से तौल रहे थे। या हम अपने साथ दफ्तर या समाज में काम करने वाली महिलाओं को सहकर्मी मानते हैं? या कमेटियों में महिलाओं का स्थान पूरा करने केवल खानापूर्ति करते हैं। बच्ची के पैदा होने के साथ ही प्रारंभ से ही समाज का नजरिया ठीक नहीं रहता। लोग सोचते हैं बेटी हुई है। अब इसकी शादी में बहुत खर्च होगा। दहेज भी देना होगा। कई जगह तो महिलाओं को बेचने व उनके साथ अत्याचार की खबरें देखने -सुनने को मिलती है। महिलाओं को बराबरी पर बैठाकर नीचे स्थान दिया जाता है। हमें बाइबिल में वर्णित प्रसंगों से शिक्षा लेकर महिलाओं को इज्जत व समुचित स्थान देना चाहिए।