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कही-सुनी (09 APRIL- 23)- कर्नाटक के नतीजों पर निर्भर करेगा ईडी का एक्शन

रवि भोई की कलम से 


कहा जा रहा है कि राज्य में ईडी का अगला बड़ा एक्शन कर्नाटक चुनाव के बाद नजर आएगा। कर्नाटक चुनाव का परिणाम 13 मई को आ जाएगा। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में ईडी का बड़ा एक्शन कर्नाटक के नतीजों पर निर्भर करेगा। कर्नाटक चुनाव के बाद राजनीतिक दल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में लग जाएंगे। खबर है कि इस बीच ईडी छापे की जद में आए कांग्रेस नेताओं,कारोबारियों और अफसरों से पूछताछ कर अगली कार्रवाई के लिए जमीन तैयार करती रहेगी। हल्ला है कि छापे की जद में आए कांग्रेस के कुछ नेताओं पर ईडी का फंदा कस सकता है। बताते हैं खनिज कारोबार वालों पर खतरा ज्यादा है। भूपेश राज के शुरूआती दिनों में कलेक्टरी का आनंद उठाने वाले कुछ अफसरों पर ईडी निगाह जमाए हुए है। अब देखते हैं आने वाले दिनों में ईडी की गाज किस पर गिरती है।

अफसरों के कारनामे

छत्तीसगढ़ में ईडी ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में पिछले छह महीनों में कई अफसरों को अपने घेरे में लिया, फिर भी कुछ अफसर ऐसे हैं कि उनकी धन कमाने की भूख शांत हो ही नहीं रही है। कहते हैं कि एक जूनियर आईएएस अफसर ने ईडी की निगाह से बचने के लिए विदेश में अपना खाता खुलवा लिया है और उसी खाते से दो नंबर के माल का लेन-देन करते हैं। अब देखते हैं ईडी की निगाह से कब तक बचते हैं। चर्चा है कि एक अफसर ने ऊपर की कमाई के लिए अलग-अलग नामों से कई खाते खुलवा रखे थे, पर वे ईडी की नजर में आ गए। एक अफसर का नीदरलैंड में खाता होने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि ये अफसर छत्तीसगढ़ में कमाई कर विदेश में धन सुरक्षित रखते थे।इस अफसर को पहुंचा हुआ पीर माना जाता है, क्योंकि इन पर सरकार के आने-जाने का असर नहीं हुआ। ये दिन दूनी रात चौगुनी कमाई करते रहे।

भाजपा के महामंत्री चुनाव लड़ेंगे या लड़ाएंगे

भाजपा के प्रदेश महामंत्री के पद को पूर्णकालिक माना जाता है। छत्तीसगढ़ भाजपा के वर्तमान तीनों महामंत्री केदार कश्यप, विजय शर्मा और ओ पी चौधरी चुनाव लड़ना चाहते हैं। अब सवाल उठ रहा है कि तीनों ही महामंत्री चुनाव लड़ेंगे तो विधानसभा चुनाव के वक्त व्यवस्था कौन संभालेगा ? केदार कश्यप और ओ पी चौधरी 2018 के पराजित प्रत्याशी हैं। विजय शर्मा कवर्धा से टिकट के लिए लंबे समय से दावेदार हैं, लेकिन अब तक उनकी जगह किसी दूसरे को टिकट मिलती रही है। कहते हैं विजय शर्मा इस बार कवर्धा के साथ पंडरिया विधानसभा से दावेदारी कर रहे हैं। ओ पी चौधरी 2018 में खरसिया सीट से चुनाव हार गए थे। चर्चा है कि सुनिश्चित जीत के लिए उनकी नजर रायगढ़ सीट या रायपुर शहर की किसी सीट पर है। ओ पी चौधरी रायपुर जिले के कलेक्टर के रूप में शहर में कई काम कराएं हैं, यहाँ के लोग उन्हें जानते भी हैं। खबर है कि वे इसका लाभ लेना चाहते हैं। बताते हैं रायगढ़ में व्यवसायी वर्ग का ज्यादा प्रभाव होने के बाद भी कांग्रेस से ओबीसी प्रत्याशी की जीत से यह सीट भी उन्हें खरसिया से ज्यादा सुरक्षित लग रही है। केदार कश्यप अपनी परंपरागत सीट नारायणपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं।

जीत के लिए सुरक्षित सीटों की तलाश

चर्चा है कि कांग्रेस के करीब आधा दर्जन विधायक 2023 अपनी जीत पक्की करने के लिए सुरक्षित सीट की तलाश में लगे हैं। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं। कहते हैं जीत न पाने की आशंका के चलते एक मंत्री जी ने अभी से हथियार डाल दिया है। वे अपने रिश्तेदार के लिए जुगाड़ में लगे हैं। कहा जा रहा है कि दुर्ग जिले से चुनाव लड़ने वाले एक विधायक जी रायपुर जिले और मुंगेली जिले में सुरक्षित सीट तलाश रहे हैं। कांग्रेस के कुछ दिग्ग्गज भी एंटी इंकम्बेंसी के भय से सुरक्षित ठौर की थाह लेने में लगे हैं। अब देखते हैं हाईकमान इनके मन की सुनता है या अपने मन से फैसला करता है।

आनंद मसीह से मुक्त हुआ सूचना आयोग

राज्य सरकार ने आखिरकार आनंद मसीह को राज्य सूचना आयोग के सचिव पद से विदा कर दिया। कहते हैं आनंद मसीह ने सूचना आयोग को अपनी मुट्ठी में कर लिया था। सचिव आनंद मसीह अपने मातहत कर्मचारियों पर तो गाज गिराते ही थे। उन्होंने आयोग के सदस्यों के ऊपर भी चलने की कोशिश की। कहते हैं सचिव ने सदस्यों के काम का बंटवारा कर दिया था। बताते हैं आनंद मसीह के तौर-तरीके और कार्यशैली से सदस्यों के साथ पूरा स्टाफ खफा था। आनंद मसीह के कामकाज को लेकर प्रभावित लोगों ने सरकार से शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर सरकार ने आनंद मसीह को हटाकर 2003 बैच के पदोन्नत आईएएस गोविंदराम चुरेंद्र को आयोग के सचिव के पद पर पदस्थ किया है। अब देखते हैं जी आर चुरेंद्र के काम संभालने के बाद आयोग में क्या बदलाव आता है। चुरेंद्र साहब भूपेश सरकार के गुड बुक से बाहर वाले अफसर हैं। वैसे भी आयोग दो सदस्यों के भरोसे चल रहा है। न मुख्य सूचना आयुक्त हैं और न ही आयुक्त के सभी पद भरे हैं।

क्या अवस्थी सीएम के सुरक्षा सलाहकार होंगे

चर्चा है कि पिछले हफ्ते पुलिस मुख्यालय में ओएसडी बनाए गए आईपीएस अफसर डीएम अवस्थी मुख्यमंत्री के सुरक्षा सलाहकार होंगे। अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते आईपीएस अफसर रामलाल वर्मा को अपना सुरक्षा सलाहकार बनाया था। ओएसडी बनाए गए डीएम अवस्थी के कामकाज और सेवा शर्तों के संबंध में अलग से आदेश जारी होना था, लेकिन एक हफ्ते बाद भी वे क्या काम करेंगे, इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। राज्य के डीजीपी रहे डीएम अवस्थी अपने से जूनियर अफसर के पुलिस प्रमुख रहते पीएचक्यू में कैसे बैठेंगे ? इस पर भी सवाल उठ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि अवस्थी साहब के अनुभव का लाभ सरकार किस तरह लेना चाहती है, इस पर अगले हफ्ते तक निर्णय हो जाएगा।

कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष की सुगबुगाहट

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदले जाने के घमासान के बीच पार्टी में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की हवा बहने लगी है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले ओबीसी अध्यक्ष के साथ एक एससी और एसटी वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। 2023 विधानसभा चुनाव के पहले पुराने फार्मूले को लागू करने की पहल कुछ लोग करने लगे हैं। एसटी वर्ग के अध्यक्ष के साथ एससी वर्ग से एक कार्यकारी अध्यक्ष और सामान्य वर्ग से एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की बात चल पड़ी है। कहा जा रहा है सीडब्ल्यूसी ( कांग्रेस वर्किंग कमेटी ) के गठन के बाद कुछ राज्यों के कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाएंगे। अब देखते हैं कांग्रेस हाईकमान छत्तीसगढ़ के बारे में क्या फैसला करता है?

भाजपा विधायकों का केंद्रीय मंत्रियों से भेंट चर्चा में

छत्तीसगढ़ के भाजपा विधायकों का केंद्रीय मंत्रियों से सामूहिक मुलाक़ात न कर व्यक्तिगत मुलाक़ात करना चर्चा का विषय है। छत्तीसगढ़ के सभी 14 भाजपा विधायकों को पांच अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात का समय तय था , लेकिन एन वक्त पर मुलाक़ात रद्द हो गया। कुछ विधायक प्रधानमंत्री से मिलने के लिए एक-दो दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। इस दौरान वे केंद्रीय मंत्रियों से मिले। पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और अन्य मंत्री-नेताओ से मिले। पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी से मिले। विधायक शिवरतन शर्मा और अन्य विधायक भी अलग -अलग मंत्रियों से भेंट की।


(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

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