कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अखबार के लेख में हिंदू मुस्लिम मुद्दे पर लिखा कि यह मुद्दा नफरत और विभाजन का वायरस है. यह मुद्दा अविश्वास को गहरा करता है, बहस को दबाता है, एक राष्ट्र और लोगों के रूप में हमें नुकसान पहुंचाता है.
उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में नफरत, कट्टरता, असहिष्णुता और असत्य छा रहा है. यदि हम इसे अभी नहीं रोकते हैं तो आने वाले समय में इतना नुकसान होगा कि हम उसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे. हम एक व्यक्ति के रूप में खड़े होकर नहीं देख सकते हैं क्योंकि फर्जी राष्ट्रवाद की वेदी पर शांति और बहुलवाद की बलि दी जाती है.
आइए हम इस प्रचंड आग पर काबू पाएं, नफरत की यह सुनामी जो कि पिछली पीढ़ियों द्वारा इतनी श्रमसाध्य रूप से निर्मित की गई है, जो सभी के सामने फैली हुई है, धराशायी हो गई है. एक सदी से भी पहले, भारतीय राष्ट्रवाद के कवि ने दुनिया को अपनी अमर गीतांजलि दी थी, जिसका शायद 35 वां श्लोक सबसे प्रसिद्ध और सबसे अधिक उद्धृत किया गया है. गुरुदेव टैगोर की प्रार्थना, इसकी मूल पंक्तियों के साथ शुरू होती है, “जहाँ मन निर्भय हो…” आज अधिक प्रासंगिक है और इसकी प्रतिध्वनि बढ़ गई है.
अभद्र भाषा को नहीं रोका जाता
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