दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. 1 मई 1886 से इसकी शुरुआत हुई थी. इसी दिन अमेरिका में मजदूर यूनियनों ने 8 घंटे से ज्यादा काम ना करने के लिए स्ट्राइक की थी. साल 1877 में मजदूरों ने अपनी मांग तेज करते हुए एक नया आंदोलन खड़ा किया. इसके बाद 1 मई 1886 को अमेरिका के 11 हजार फैक्ट्रियों के लगभग 4 लाख मजदूर एकजुट हुए और अपनी मांग को लेकर व्यापक आंदोलन खड़ा किया.
भारत में इसकी शुरुआत 1 मई 1923 को हुई थी. पहले इसे मद्रास दिवस के नाम से भी जाना जाता था. भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कॉमरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के सामने प्रदर्शन कर कामगारों की शिफ्ट 8 घंटे से ज्यादा ना रखने की मांग की थी. इसके अलावा उन्होंने कामगारों के लिए साल में एक दिन की छुट्टी देने की भी मांग रखी थी. हर साल भारत सहित 80 मुल्कों में यह दिवस मनाया जाता है.
किसी भी देश, समाज और उद्योग को आगे बढ़ाने में मजदूरों की भूमिका अहम होती है. उन्हें ट्रिब्यूट देने के लिए इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है. इस दिन जगह जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दिन फैक्ट्रियों में कामगारों को उपहार भी दिए जाते हैं. इस दिन कई मजदूर संगठन एकजुट होते हैं और कामगारों से उनके काम में आ रही परेशानियों के बारे में बातचीत करते हैं. मजदूर संगठनों को मजबूर करना, मजदूरों की परेशानियों को कम करना, उनकी उपलब्धियों का सम्मान करना ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य होता है.
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