केंद्र सरकार ने भारत में कोरोना वायरस के लिए ‘इंडियन वेरिएंट’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी मंत्रालय) ने इन कंपनियों को लिखित एडवाईजरी जारी करते हुए अपने प्लेटफॉर्म से ऐसे सभी कंटेंट को हटाने को कहा है जिसमें कोरोना वायरस के लिए ‘इंडियन वेरिएंट’ शब्द का इस्तेमाल किया गया हो. सरकार का कहना है कि ‘इंडियन वेरिएंट’ जैसे शब्द के इस्तेमाल से गलत सूचना का प्रसार होता है और साथ ही देश की छवि भी खराब होती है.
केंद्र सरकार ने अपनी एडवाईजरी में ये स्पष्ट किया कि, “इस तरह के शब्द का इस्तेमाल पूरी तरह गलत है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी अपनी किसी रिपोर्ट में भारत में मिले कोरोना वायरस के B.1.617 वेरिएंट के लिए ‘इंडियन वेरिएंट’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.”
बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने 11 मई को कहा था कि पिछले साल भारत में पहली बार पाया गया कोरोना वायरस का B.1.617 वेरिएंट वैश्विक चिंता का विषय है. जिसके बाद केंद्र सरकार ने एक बयान जारी करते हुए ये स्पष्ट किया था कि, “मीडिया रिपोर्ट्स बिना किसी आधार के ‘इंडियन वेरिएंट’ शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी किसी रिपोर्ट में भारत में मिले कोरोना वायरस के B.1.617 वेरिएंट के लिए ‘इंडियन वेरिएंट” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.”
सोशल मीडिया कंपनी से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी अनगिनत पोस्ट होंगी जिनमें इंडियन वेरियेंट शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसलिए इस तरह के कंटेंट को हटाना इतना आसान नहीं होगा. साथ ही उन्होंने कहा, सरकार के इस तरह के फैसले से ‘कीवर्ड’ आधारित सेंसरशिप को बढ़ावा मिल सकता है.”
WHO ने भारत में पहली बार पाए गए इस वेरिएंट पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह दुनिया के 44 देशों में पहुंच गया है. संगठन के मुताबिक, B.1.617 वेरिएंट वायरस के मूल स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा आसानी और तेजी से फैलता है और यही कारण है कि भारत में कोरोना संक्रमण के मामले और इससे होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि WHO ने इस बात पर भी जोर दिया था कि इस वेरिएंट के प्रभाव को वैक्सीनेशन से कम किया जा सकता है.
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