कोरोना वायरस: देश में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है. हालांकि अब नए मामलों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है. दूसरी लहर के दौरान देश के लगभग सभी बड़े राज्यों ने लॉकडाउन की घोषणा की, जो अभी भी जारी है. महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंची है. अप्रैल में देश की आर्थिक गतिविधि धीमी हुई है.
लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था के कमजोर होने पर ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्री अभिषेक गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार के पास नकद राहत देने के लिए पूंजी नहीं है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 99 हजार 122 करोड़ का लाभांश मिला है, लेकिन राहत पैकेज के रूप में अभी सिर्फ टैक्स छूट ही दी जा सकती है.
ब्रिटेन के बैंक बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के बाद भारत को 5.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. बार्कलेज ने भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अपने अनुमान को भी घटा दिया है. उसने अनुमान 10 फीसदी से घटाकर 9.2 फीसदी कर दिया है. वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर से देश की जीडीपी को 4.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
उल्लेखनीय है कि सब्जियों, अनाज और खाने- पीने की दूसरी वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति की रफ्तार अप्रैल में धीमी पड़कर 4.29 प्रतिशत रही. यह पिछले तीन महीने में मुद्रास्फीति का सबसे निचला आंकड़ा है. वहीं खाने -पीने का सामान, कच्चा तेल और विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 10.49 प्रतिशत के अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई.
भारतीय रिजर्व बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी गई है. अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 7.6 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद मुद्रास्फीति ऊंची रहने के कारण ही आरबीआई पिछले कई द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती नहीं कर सका.
बता दें कि दूसरी लहर ने पहली लहर के संबंध में ग्रामीण भारत पर अधिक प्रभाव डाला है. पहली लहर में ग्रामीण भारत काफी हद तक अप्रभावित था. अगले कुछ हफ्तों में राज्यों में प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील की संभावना है.
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