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रामसेतु को लेकर उठे बवाल के बाद ‘सेतुसमुंद्रम कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ होगी बंद, आज कैबिनेट मीटिंग में हो सकता है फैसला

आज केंद्रीय कैबिनेट (Cabinet Meeting) एक अहम फ़ैसला ले सकती है जिसका राजनीतिक तौर पर सांकेतिक महत्व बहुत ज़्यादा है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में कैबिनेट (Cabinet) सेतूसमुंद्रम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Sethusamudram Corporation Limited) को बंद करने का फ़ैसला कर सकती है. कम्पनी का गठन सेतुसमुंद्रम प्रोजेक्ट (Sethusamudram Project) को पूरा करने के लिए विशेष रूप से यूपीए सरकार (UPA Government) के समय दिसम्बर 2004 किया गया था.

क्या था सेतुसमुंद्रम प्रोजेक्ट?

भारत के पश्चिमी और पूर्वी समुद्री तटों के बीच समुद्री यातायात की दूरी को कम करने के लिए सेतुसमुंद्रम प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इसके लिए मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी के बीच पाक जलडमरूमध्य से होते हुए एक समुद्री चैनल बनाए जाने की योजना थी जिसपर काम शुरू भी हो गया था. पाक जलडमरूमध्य भारत और श्रीलंका के बीच का समुद्री इलाक़ा है. स्वेज नहर की तरह बनने वाले इस समुद्री चैनल के निर्माण का कुल बजट क़रीब 2500 करोड़ रुपए का था.

रामसेतु को लेकर हुआ था विवाद

प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पौराणिक रामसेतु (mythological ram setu) को तोड़ने की ज़रूरत थी जिसको लेकर तब बड़ा राजनीतिक विवाद (political controversy) खड़ा हो गया था. पौराणिक मान्यता (mythological belief) के मुताबिक़ रामसेतु भारत और  (India and Srilanka) के बीच एक सेतु है जिसे भगवान राम (Lord Rama) ने लंका की जीत के लिए बनाया था. ऐसे में विवाद बढ़ने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा और कोर्ट ने प्रोजेक्ट (Project) पर रोक लगाते हुए सरकार से प्रोजेक्ट के लिए वैकल्पिक रास्ता (Alternate Way) तलाशने के लिए कहा. तबसे इस प्रोजेक्ट पर काम पूरी तरह से बंद कर दिया गया.

हालांकि इस प्रोजेक्ट को लेकर सबसे बड़ा राजनीतिक विवाद (Political Controversy) तब शुरू हुआ जब कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (UPA Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफ़नामा दे डाला कि रामसेतु (Ramsethu) महज काल्पनिक चीज़ है और इसलिए प्रोजेक्ट से कोई दिक्कत नहीं है. वैसे विवाद बढ़ने पर सरकार ने नया हलफ़नामा देकर अपनी बात से यू टर्न (U Turn) ले लिया था. प्रोजेक्ट तो ठंडे बस्ते में चला गया लेकिन उसके बाद से रामसेतु को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की मांग उठ रही है और मामला इस समय कोर्ट में विचाराधीन है.

 

 

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