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सफलता की कहानी :गौठान में मुर्गीपालन बना आस्था समूह की आजीविका का साधन

० बारगांव गौठान में आस्था समूह ने मुर्गीपालन से कमाए 37 हजार रूपए

जांजगीर-चांपा। राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के तहत बारगांव में बनाए गए गौठान से जुड़ी समूह की महिलाओं के लिए मुर्गीपालन आजीविका का साधन बन गया है। गौठान में किये जा रहे मुर्गीपालन से आस्था स्व सहायता समूह की महिलाओं ने पहली बार में ही 37 हजार रूपए की आय अर्जित की। समूह की महिलाओं का कहना है कि गौठान से महिलाओं के लिए आगे बढ़ने का रास्ता खोला है।

जांजगीर-चांपा जिले की जनपद पंचायत पामगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत बारगांव में सुराजी गांव योजना से गौठान का निर्माण किया गया। गौठान निर्माण होने के बाद आजीविका गतिविधियों का संचालन शुरू हुआ, जिसमें वर्मी कम्पोस्ट, मुर्गीपालन, मशरूम उत्पादन तथा चारागाह में सब्जी बाड़ी उत्पादन का कार्य समूह की महिलाओं ने शुरू किया। आस्था समूह की अध्यक्ष श्रीमती अन्नपूर्णा वानी ने बताया कि शासन द्वारा गौठान में मुर्गीपालन के लिए मूलभूत सुविधाएं शेड, बिजली, पानी की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। मुर्गीपालन की आजीविका गतिविधि के लिए यह सुविधाएं बहुत थी, इन सुविधाओं के बल पर मुर्गीपालन का कार्य आसान हो गया, बस अब समूह को मेहनत करनी थी। समूह के पास एनआरएलएम से मिली चक्रिय निधि, सामुदायिक निवेश निधि एवं बैंक लिंकेज से मिली राशि थी। इस राशि का उपयोग मुर्गीपालन के कार्य में करते हुए चूजे एवं दाना खरीदा। नियमित रूप से चूजों की देखभाल करते हुए उन्हें बड़ा किया। बड़े होने के बाद उनकी बिक्री करके मुनाफा कमाया। समूह की सदस्यों का कहना है कि उन्होंने 19 क्विंटल का मुर्गी उत्पादन करते हुए 37 हजार रूपए की आय अर्जित की। मुर्गियों का विक्रय गांव में ही हो गया, उन्हें बाहर जाकर नहीं बेचना पड़ा। मुर्गीपालन से हुए मुनाफे से समूह की महिलाओं ने अपने बच्चों की शिक्षा एवं अन्य जरूरतों पर खर्च किये। सदस्यों का कहना था कि गांव में ही रोजगार के साधन मिलने से तरक्की के रास्ते खुल गए हैं, गांव वालों को अब पलायन करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ रहा है। सुराजी गांव से बनी गौठान से महिलाओं को बहुत फायदा हो रहा है। अब फिर से समूह की महिलाएं चूजे लाई हैं, और मुर्गीपालन के कार्य को आगे बढ़ा रही हैं।

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