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सफलता की कहानी : गौठान में गोबर बेचकर अपूर्वा ने खरीदी स्कूटी

० गोबर से प्राप्त राशि से बच्चों की पढ़ाई, घर खर्च में कर रहीं सहयोग
० गौठान में स्व सहायता समूह आजीविका गतिविधियों से जुड़कर प्राप्त कर रहा आर्थिक लाभ

जांजगीर-चांपा। अकलतरा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत खटोला में श्रीमती अपूर्वा श्रीवास ने 35 हजार किलोग्राम गोबर बेचकर 70 हजार रूपए कमाए और इस राशि से उन्होंने इलेक्ट्रिक स्कूटी खरीद ली। इस स्कूटी से वह स्व सहायता समूह की बैठकों में सम्मिलित होती है, इसके अलावा बच्चों को घुमाने, परिवार की जरूरतों के समान लाने-ले जाने के साथ ही इसका उपयोग उनके पति भी करते हैं। अपूर्वा बताती हैं कि राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना पशुपालकों के लिए सहायक सिद्द हो रही है साथ ही स्व सहायता समूहों की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत भी बना रही हैं।

सुराजी गांव गौठान में जब से गोधन न्याय योजना शुरू की गई है, तब से अपूर्वा जैसे सैकड़ों पशुपालकों के लिए यह वरदान साबित हुई है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर बेचकर कोई स्कूटी खरीद रहा है तो कोई बच्चों की बेहतर शिक्षा दे रहा है, इस राशि से शादियां हो रही हैं। ऐसी ही अपूर्वा श्रीवास हैं, जो शीतबाबा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष भी हैं और पशुपालक होने के नाते वह गौठान में गोबर भी बेचती हैं। वह बताती हैं कि गौठान से जुड़कर समूह की महिलाएं स्वावलंबी बनी है। महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट, बकरीपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन की आजीविका गतिविधियों के संचालन से लाभ कमा रही हैं। गौठान में शासन द्वारा स्व सहायता समूहों को शेड, वर्मी टैंक, पानी, बिजली आदि की सुविधा मुहैया कराई गई है, ताकि वे बेहतर आजीविका प्राप्त कर सकें। गौठान में समूह द्वारा 60 हजार रूपए की राशि लगाकर गोबर से 765 बोरी खाद तैयार किया गया। इस खाद को सोसायटी के माध्यम से किसानों को बेचकर 1 लाख 5 हजार रूपए का लाभांश प्राप्त किया। समूह की महिलाओं द्वारा बकरीपालन के क्षेत्र में भी हाथ अजमाए। इस काम में भी समूह को सफलता मिली, शुरूआती लागत लगाकर समूह की महिलाओं ने बकरीपालन का कार्य शुरू किया। मजबूती के साथ इस कार्य को करते हुए उन्होंने 10 बकरी को बेचकर 50 हजार रूपए की आय अर्जित की। समूह की महिलाएं तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ती गई। समूह की सदस्यों ने मुर्गीपालन का कार्य करते हुए 1 लाख 20 हजार रूपए की लागत इसमें लगाई। मेहनत रंग लाई और अच्छे दामों में मुर्गी का विक्रय करते हुए 30 हजार रूपए लाभ प्राप्त किया। वहीं समूह की सदस्यों ने मछलीपालन के क्षेत्र में भी कार्य शुरू किया है, जिससे उन्हें धीरे-धीरे आमदनी होने लगी हैं। समूह की सदस्यों का कहना है कि गौठान से जुड़ने के बाद तरक्की के रास्ते खुल गए और अब पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ रहा है।

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