पर्यावरणीय प्रदर्शन (Environmental Performance) के मामले में अमेरिका (America) स्थित संस्थानों के एक सूचकांक में भारत (India) 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान (Lowest Rank) है. ‘येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Colombia University) के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा हाल में प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में डेनमार्क (Denmark) सबसे ऊपर है. इसके बाद ब्रिटेन (Britain) और फिनलैंड (Finland) को स्थान मिला है. इन देशों को हालिया वर्षों में ग्रीनहाउस (Greenhouse) गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए सर्वाधिक अंक मिले.
EPI दुनिया भर में स्थिरता की स्थिति का डेटा-आधारित सार मुहैया कराता है. EPI 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों का उपयोग करके 180 देशों को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति के आधार पर अंक देता है.
विश्व के देश कौन-कौन से स्थान पर
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे कम अंक भारत (18.9), म्यांमा (19.4), वियतनाम (20.1), बांग्लादेश (23.1) और पाकिस्तान (24.6) को मिले हैं. कम अंक पाने वाले अधिकतर वे देश हैं, जिन्होंने स्थिरता पर आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी या जो अशांति और अन्य संकटों से जूझ रहे हैं. इसमें कहा गया है कि तेजी से खतरनाक होती वायु गुणवत्ता और तेजी से बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर आ गया है. चीन को 28.4 अंकों के साथ 161वां स्थान मिला है. अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि उत्सर्जन वृद्धि दर पर अंकुश लगाने के हालिया वादे के बावजूद, चीन और भारत के 2050 में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक देश बनने का अनुमान है.
सिर्फ डेनमार्क और ब्रिटेन ने बचा रखी है लाज
अमेरिका को पश्चिम के 22 धनी लोकतांत्रिक देशों में 20वां और समग्र सूची में 43वां स्थान मिला है. ईपीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि अपेक्षाकृत कम रैंकिंग अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के दौरान पर्यावरण संरक्षण के कदमों से पीछे हटने के कारण है.रिपोर्ट में कहा गया है कि डेनमार्क और ब्रिटेन सहित फिलहाल केवल कुछ मुट्ठी भर देश ही 2050 तक ग्रीनहाउस गैस कटौती स्तर तक पहुंचने के लिए तैयार हैं.
रूस इस सूची में 112वें स्थान पर
चीन (China), भारत (India) और रूस (Russia) जैसे प्रमुख देशों में तेजी से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ रहा है और कई अन्य देश गलत दिशा में बढ़ रहे हैं. ईपीआई (EPI) अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगर मौजूदा रुझान बरकरार रहा, तो 2050 में 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) उत्सर्जन के लिए सिर्फ चार देश – चीन, भारत, अमेरिका और रूस जिम्मेदार होंगे.
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