रायपुर और दुुर्ग संभाग में 62 आदर्श छात्रावास-आश्रमों का होगा उन्नयन , आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के काम-काज की समीक्षा
रायपुर, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि वन अधिकार मान्यता पत्र धारियों को उनकी भूमि पर शासन की योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। इन्हें मनरेगा योजना से जोड़कर रोजगार मूलक कार्य कराए जाएं। मनरेगा के तहत वन अधिकार मान्यता पत्र धारियों को लाभ दिलाने के लिए जिला अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए गए। इसके साथ ही प्रत्येक वन समिति को कम से कम एक सामुदायिक वन अधिकार एवं सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र स्वीकृत करने का लक्ष्य दिया जाए। व्यक्तिगत वन अधिकार की समीक्षा कर उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाएं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 में रायपुर और दुुर्ग संभाग में 62 आदर्श छात्रावास-आश्रमों का उन्नयन किया जाना है। इसके लिए 19 करोड़ 68 लाख 54 हजार रूपए की राशि आबंटित की गई है। डॉ. टेकाम आज मंत्रालय में रायपुर और दुर्ग संभाग के सहायक आयुक्तों की बैठक लेकर विभाग के काम-काज की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में सचिव आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास श्री डी.डी. सिंह, आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
निर्माण कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण कराना सुनिश्चित करें
मंत्री डॉ. टेकाम ने अधिकारियों को निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वीकृत कार्यों का समय-समय पर निरीक्षण करें। निर्माण कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी ने अधिकारियों को विशेष रूप से कमजोर जनजाति वर्ग के लिए राज्य स्तरीय पारंपरिक खेल प्रतियोगिता आयोजित कराने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को कमार बस्तियों में ज्यादा गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों की पहचान कर मौके पर जाकर यथा संभव मदद करने के निर्देश दिए। श्रीमती आबिदी ने कहा कि विशेष रूप से कमजोर जनजाति वर्ग की बस्तियों में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। सप्ताहिक हाट-बाजार में नेत्र शिविर का आयोजन कर अन्य संबंधित दवाईयां एवं चश्मा उपलब्ध कराया जाए। विशेष रूप से कमजोर जनजाति वर्ग के शत-प्रतिशत वन अधिमान्यता पत्र धारियों को मनरेगा योजना के साथ जोड़ा जाए।
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि व्यक्तिगत वन अधिकार के लिए जिन ग्रामों में वनक्षेत्र हैं, वहां पर परिवारवार, विकासखण्डवार जानकारी एकत्र कर ली जाए। उसके आधार पर शेष बचे परिवारों को व्यक्तिगत वन अधिकार प्रदाय किया जाए। व्यक्तिगत वन अधिकार मान्य की गई वन भूमि का रकबा दावा की गई भूमि से कम है, इस ओर अधिकारी ध्यान दें। विशेषकर जिला स्तरीय समिति द्वारा दावा स्वीकृत करते समय इसकी छानबीन कर ली जाए। जिन्हें वन अधिकार पत्र प्राप्त हो चुके हैं, उन वन अधिकार पत्र धारकों की भूमि पर शासकीय योजनाओं के माध्यम से विकास कार्य कराया जाए। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों को अभिलेख के रूप में वन अधिकार पुस्तिका अनिवार्य रूप से प्रदाय की जाए। उन्होंने कहा कि जिन वन अधिकार पत्र धारकों की मृत्यु हो चुकी है, उनके परिजनों के नाम का उल्लेख ऋण पुस्तिका में किया जा सकता है। राजनांदगांव, महासमुंद, बलौदाबाजार, कबीरधाम जिलों में कार्य में तेजी लाएं। वन अधिकार पत्रधारियों की जमीन पर भूमि समतलीकरण एवं मेढ़ बंधान, खाद-बीज और कृषि उपकरण के लिए सहायता स्वीकृत की जाए। सिंचाई के लिए नलकूप, कुंआ, स्टापडेम का निर्माण कराया जाए और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से लाभान्वित किया जाए।
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