केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा कवर फॉर्मल सेक्टर के कर्मचारियों के भविष्य पीएफ और पेंशन अकाउंट्स को अलग-अलग करने का प्लान बना रही है. इसका असर ईपीएफओ के लगभग छह करोड़ अंशधारकों पर पड़ेगा.
दरअसल, सरकार दोनों खातों को अलग-अलग इसलिए चाहती है क्योंकि कर्मचारी पीएफ से पैसा निकालते वक्त पेंशन फंड से भी पैसा निकालते हैं. फिलहाल पीएफ पीएफ और पेंशन फंड एक ही अकाउंट का पार्ट हैं. कोविड महामारी में लोगों की बड़ी संख्या में नौकरी गई. पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद से इस साल 31 मई तक 70.63 लाख लोगों ने पैसा निकाला है.
ईपीएफओ में कंपनी और कर्मचारियों के 24% योगदान में से 8.33% हर महीने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और बाकी पीएफ में जमा होता है. देखने में आया है कि अक्सर कर्मचारी ईपीएफओ से पैसा निकालते समय पेंशन राशि भी निकालते हैं. दोनों का अकाउंट अलग होने पर पेंशन फंड का पैसा नहीं निकाल पाएंगे.
इसके लिए दो स्कीम लाई जा सकती हैं. एक स्कीम हर महीने 15,000 रुपये कम वेतन पाने वालों के लिए और दूसरी इससे ज्यादा वेतन पाने वाले के लिए हो सकती है. 15,000 रुपये से कम वेतन वाले हर सदस्य के लिए सरकार फिलहाल ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन स्कीम में 1.16% का योगदान करती है और यह आगे भी जारी रह सकता है.
यह भी पढ़ें- निर्मला सीतारमण ने नए आयकर पोर्टल के कामकाज को लेकर की समीक्षा बैठक, खामियों को प्राथमिकता से दूर करने को कहा
One Comment
Comments are closed.