मद्रास हाईकोर्ट में हाल के एक मामले में सामने आया कि एक महिला के पास अपने पति की मृत्यु के बाद लाइफ इंश्योरेंस के लिए कोई लीगल क्लेम नहीं था. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद महिला के ससुर के पक्ष में फैसला दिया. दरअसल, मृतक ने पॉलिसी के लिए किसी को भी नॉमिन नहीं बनाया था और न ही वसीयत के जरिए अपनी पत्नी को पेमेंट करने की घोषणा की थी.
ऐसे में भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय ही अपने परिवार के किसी सदस्य को नॉमिनी बनाना चाहिए. यदि पॉलिसी लेते समय आपने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है तो बाद में भी नॉमिनी बनाया जा सकता है. पॉलिसी में नॉमिनी होन से पॉलिसीधारक की किसी कारणवश मृत्यु होने पर उसका बनाया गया नॉमिनी क्लेम करने का हकदार होगा. इससे परिजनों को पॉलिसी का क्लेम पाने में भी आसानी होगी और अनावश्यक विवाद से भी बचा जा सकेगा.
पॉलिसी के लिए सही नॉमिनी का चुनाव करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि आप परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य हैं तो परिवार के उस व्यक्ति की पहचान कीजिए जो आपकी अनुपस्थिति में आर्थिक जिम्मेदारी उठाएगा. ज्यादातर मामलों में यह जिम्मेदारी जीवनसाथी ही उठाता है तो ऐसे में आप उसको नॉमिनी बना सकते हैं.
कई बार कुछ लोग अपना पैसा दो लोगों में बांटना चाहते हैं. जैसे पत्नी और एक छोटा बच्चा या फिर पत्नी और मां. ऐसे में एक से ज्यादा पॉलिसी खरीदकर अलग-अगल नॉमिनी बना सकते हैं. या फिर पॉलिसी खरीदते समय ही एक से ज्यादा लोगों का शेयर तय कर सकते हैं. इसके लिए इंश्योरर से पॉलिसी खदीदते समय लिखित अंडरटैकिंग ली जा सकती है.
पॉलिसीधारक के नॉमिनी की मौत होने पर नॉमिनी बदला जा सकता है. इसके अलावा शादी होने या फिर तलाक होने जैसी स्थिति में भी नॉमिनी बदल सकते हैं. इसके लिए इश्योंरेंस कंपनी के वेवसाइट से नॉमिनी फॉर्म डाउनलोट करें या फिर ऑफिस से यह फॉर्म लें. फॉर्म में नॉमिनी की डिटेल भरें और पॉलिसी के डोक्यूमेंट की कॉपी और नॉमिनी के साथ अपने रिलेशन के डॉक्यूमेंट लागाकर सबमिट करें. यदि एक से ज्यादा नॉमिनी हैं तो हर की हिस्सेदारी तय कर दें.
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