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छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया आंदोलन का ऐलान, सरकार पर लगाया उदासीनता और वादाखिलाफी का आरोप

रायपुर। छत्तीसगढ़ शिक्षक मोर्चा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सरकार पर उदासीनता और वादाखिलाफी का आरोप लगाया. शिक्षक एल. बी. संवर्ग के हितों और मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य के दो लाख शिक्षकों के सब्र का बांध टूट गया है. विभिन्न शिक्षक संगठनों ने संगठनात्मक मतभेदों को दरकिनार कर संवर्ग के दो लाख कर्मचारियों के हित में आर-पार संघर्ष के लिए “छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा” का गठन कर संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है.

छ. ग. सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष मनीष मिश्रा, शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, नवीन शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष विकास राजपूत, संयुक्त शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन व छ.ग. टीचर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष संजय शर्मा ने संयुक्त वक्तव्य में कहा है कि सरकार ने शिक्षक एल. बी. संवर्ग के हितों की उपेक्षा करने के साथ ही उनके साथ वादाख़िलाफ़ी भी की है.

उन्होंने बताया कि क्रमोन्नति, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना, वेतन विसंगति, पूर्ण पेंशन, 7 वें वेतनमान में गृहभाड़ा व देय तिथि से मंहगाई भत्ता आदि मुद्दों पर सरकार ने हमें निराश किया है. संवर्ग के हित में आंदोलन के लिए बाध्य किया है.

“छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा” के बैनर तले एक सूत्रीय मांग

“पूर्व सेवा अवधि की गणना कर प्रथम नियुक्ति तिथि से सही वेतन का निर्धारण कर सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर कर / क्रमोन्नत, पुरानी पेंशन निर्धारित कर एवं कुल 20 वर्ष की सेवा में पूर्ण पेंशन की पात्रता” को लेकर आज मंत्रालय में ज्ञापन तथा मांगें पूर्ण नहीं होने पर आंदोलन की सूचना दी जाएगी.

इसी क्रम में 18 जुलाई, 2023 को राजधानी में जंगी धरना प्रदर्शन तथा 31 जुलाई, 2023 से पूरे राज्य में शाला बहिष्कार कर अनिश्चितकालीन आंदोलन और समस्त जिला व वि.ख. मुख्यालय में धरना दिया जाएगा. मनीष मिश्रा, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, केदार जैन व संजय शर्मा ने समस्त शिक्षक साथियों से संघर्ष में शामिल होने की अपील की है.

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