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जलभूमि अधिकार परिषद् करेगी जल स्रोतों को बचाने जलभूमि के आवंटन की मांग

रायपुर, प्राकृतिक जल स्रोतों नदी, नाले, जलाशयों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय जलभूमि अधिकार परिषद् सामने आया है। परिषद का कहना है कि इसके लिए जल स्रोतों के किनारे की जमीन जिस पर परम्परागत रूप से सदियों से निवास करते आ रहे जलवंशियों को भू अधिकार के तहत आवंटित होना चाहिए।

परिषद का मानना है कि इसके लिए वन भूमि अधिकार अधिनियम 2006 की तरह एक कानून बनना चाहिए। बता दें कि राष्ट्रीय जलभूमि अधिकार परिषद् छत्तीसगढ़ की राज्य स्तरीय ईकाई का गठन किया गया है। परिषद ने जल स्रोतों के संरक्षण पर आज प्रेस कांफ्रेंस के जरिए बात रखी।

मिडिया से चर्चा करते हुए परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार बाथम ने बताया कि जलभूमि से आशय प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे नदी, नाले, जलाशय है। इनके किनारे की जमीन जिस पर परम्परागत रूप से सदियों से निवास करते आ रहे ऐसे जलवंशियों को भू अधिकार के तहत आवंटित होना चाहिए। इसके लिए वन भूमि अधिकार अधिनियम 2006 की तरह एक कानून बनना चाहिए।

परिषद ने कहा कि जल स्रोतों को बचाने के लिए राज्य सरकार से मांग करेंगी। इस अवसर पर परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सदन नाविक, बिलासपुर ने सामाजिक कार्यकर्ता व मीडिया कर्मियों का स्वागत किया। नाविक ने जानकारी दी कि परिषद के उद्देश्यों को लेकर जिला इकाईयों का गठन करेंगे। उसके बाद जलभूमि आवंटन के पात्र जलवंशियों को मिशन से जोड़ेंगे।

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