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प्रेरणा के सागर थे ओपी जिन्दल

7 अगस्त 1930 को हरियाणा के हिसार जिले के  ग्राम  नलवा  में  भारत को आर्थिक गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद करने वाले एक सितारे का जन्म  हुआ।  इस सितारे का नाम है ओपी जिन्दल, जो बने भारतीय उद्योग जगत के पुरोधा और गरीबों-जरूरतमंदों के मसीहा। नलवा गांव के किसान  नेतराम जिन्दल और श्रीमती चंद्रावली देवी के तीसरे बेटे  ओपी जिन्दल की विलक्षण प्रतिभा बचपन में ही दिख गई थी। मशीनों से उनका विशेष लगाव और किसी भी परेशानी का चुटकियों में समाधान देने का उनका व्यक्तित्व समय के साथ इतना निखरा कि वे करोड़ों देशवासियों के प्रेरणा पुंज बन गए।

बचपन में अपने कंधों पर हल चलाने वाले ओपी जिन्दल की खास औपचारिक शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई थी लेकिन उनमें प्रतिभा  कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने व्यावहारिक जीवन की चुनौतियों की पाठशाला में खुद को इतना तपाया कि वे कंचन हो गए और पूरी मानवता को सुख-शांति-समृद्धि का मंत्र दे गए। कोलकाता के लिलुआ से 1952 में अपनी औद्योगिक यात्रा शुरू करने वाले  ओपी जिन्दल अपनी अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे। भारत माता को तमाम बेड़ियों से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाने का उनका संकल्प आज उनके बेटों पृथ्वीराज जिन्दल, सज्जन जिन्दल,  रतन जिन्दल और  नवीन जिन्दल के कर्मयोग के माध्यम से करोड़ों भारतीयों का मार्गदर्शन कर रहा है।

ओपी जिन्दल का व्यक्तित्व एक स्टील व्यवसायी के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो गया और वे ‘मैन ऑफ स्टील’ कहलाए। 22 साल की छोटी उम्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाने वाले  ओपी जिन्दल ने 1952 में कोलकाता के लिलुआ के बाद हिसार में 1964 में जिन्दल इंडिया लिमिटेड और 1969 में जिन्दल स्ट्रीप्स जैसे बड़े कारखानों की स्थापना की। उन्होंने ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मुंबई, बंगलूरू, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका में भी कारखाने लगाए और दुनिया के स्थापित उद्योगपतियों में से एक हो गए। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने भारत के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में 13वां स्थान उन्हें दिया, एक उद्योगपति के रूप में उनकी सफलता की गाथा आज भी गायी जाती है।

जो सीएसआर 1995-96 में कारपोरेट जगत का हिस्सा बना,  ओपी जिन्दल ने वह जिम्मेदारी 60 के दशक में ही उठा ली थी। उन्होंने जहां कहीं कारखाना लगाया, वहां स्कूल और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी दीं। हिसार में 700 बिस्तरों वाला एनसी जिन्दल अस्पताल, अग्रोहा मेडिकल कॉलेज, ओपी जिन्दल मॉडर्न स्कूल, विद्या देवी जिन्दल स्कूल और एनसी जिन्दल स्कूल-दिल्ली राष्ट्र निर्माण की दिशा में उनके ऐसे योगदान हैं, जो आज सेवा क्षेत्र में एक आदर्श बन गए हैं।

धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं का सशक्तीकरण श्री ओपी जिन्दल की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर था क्योंकि वे सामाजिक विसंगतियां दूर करने में इनकी भूमिकाओं को अहम मानते थे। उन्होंने ऐसी संस्थाओं का दिल से सहयोग किया। वे अग्रवाल समाज की आस्था का केंद्र महाराजा अग्रसेन जी की राजधानी अग्रोहा के विकास के लिए सदैव समर्पित रहे। वे न सिर्फ अग्रोहा विकास ट्रस्ट के संरक्षक थे बल्कि उन्होंने लाखों गरीबों-जरूरतमंदों की चिकित्सा सेवा के लिए समाजसेवी घनश्याम दास गोयल के साथ मिलकर अग्रोहा मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जो आज दक्षिणी हरियाणा के साथ-साथ पंजाब और राजस्थान के लिए भी उम्मीद की किरण बन गया है और उनके छोटे बेटे श्री नवीन जिन्दल की अगुवाई में मिनी एम्स का रूप ले चुका है। 3000 से अधिक लोग प्रतिदिन इस अस्पताल में अपना इलाज कराने आते हैं। साधारण बीमारियों से लेकर हृदय रोग के इलाज में अग्रोहा मेडिकल कॉलेज का लोहा माना जाता है और यहां शीघ्र कैंसर के इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है।

1991 में जनसेवा की राजनीति में आए  ओपी जिन्दल गरीब-अमीर, दलित-पिछड़े, किसान-मजदूर, सभी के चेहरों पर मुस्कान लाना चाहते थे। दलितों-पिछड़ों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए वे आजीवन समर्पित रहे। श्री जिन्दल चाहते थे कि दलितों-पिछड़ों को राजनीति में सम्मानजनक स्थान मिले इसलिए उन्होंने जाति, धर्म, पंथ, क्षेत्र और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी वर्गों के विकास और जनसेवा की राजनीति की। संवाद को वे शांति का सबसे बड़ा माध्यम मानते थे और सभी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय समस्याओं का समाधान संवाद में ही देखते थे…श्री ओपी जिन्दल कहते थे, ‘अगर हम किसी समस्या के हल का हिस्सा नहीं हैं तो समझ लीजिये कि हम स्वयं एक समस्या हैं’।

आज पूरा देश कृतज्ञता के साथ उनका स्मरण कर रहा है। एक सफल उद्योगपति, सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक दूरद्रष्टा और बदलाव के अग्रदूत के रूप में उनका स्थान सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्होंने अपने कर्मयोग से स्वावलंबन एवं स्वाभिमान की जो अमिट छाप छोड़ी, वो सदैव हमें प्रेरित करता रहेगा।

ओपी जिन्दल ने भारतीय लोकतंत्र की श्रेष्ठता स्थापित करते हुए एक बात साबित कर दी है कि आप कितने ही कमजोर क्यों न हों, कितने ही निर्धन परिवार में जन्म लिया हो, सामाजिक रूप से आप कितने ही निर्बल क्यों न हों…अगर आपमें हुनर है, काबिलियत है और आपकी दिशा सही है तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी। एक ही जन्म में सात जन्मों का सपना साकार करने का मार्ग दिखाने वाले श्री ओपी जिन्दल जी को शत्-शत् नमन।

 

 

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