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आहार औषधि की तरह हो, नहीं तो औषधि आहार बन जाएगा – डॉ. सीताराम साहू

० पॉवर कंपनी में ‘‘ सात्विक पद्धति द्वारा मधुमेह प्रबंधन ” पर प्रशिक्षण संपन्न

रायपुर। सात्विक जीवन पद्धति न केवल रोगों को दूर रखकर शरीरिक समस्या से बचाता है बल्कि मानसिक परेशानियों को भी हमसे दूर रखता है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी में सात्विक पद्धति से मधुमेह प्रबंधन विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रभारी मुख्य अभियंता ( प्रशिक्षण) डॉ सीताराम साहू ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मधुमेह आधुनिक जीवन शैली से उपजी वैश्विक बीमारी है। भारत में विशेषकर इसके मरीज बड़ी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। यह न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से कमजोर बनाता है बल्कि मानसिक रूप से निर्बल कर देता है। केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान,गुढ़ियारी में विगत दिवस आयोजित कार्यक्रम में कार्यपालक निदेशक ( मानव संसाधन) अशोक वर्मा, मुख्य अभियंता शैलेन्द्र तंवरधारी, हर्ष मेश्राम, वरिष्ठ कल्याण अधिकारी के बी एल चौकसे सहित पॉवर कंपनी के विभिन्न कार्यालयों के 50 अधिकारी- कर्मचारी शामिल हुए।

 

प्राकृतिक चिकित्सक एवं विपश्यना ध्यान के आचार्य डॉ सीताराम साहू ने प्रशिक्षणार्थियों को स्वस्थ जीवन के लिए तन और मन के पोषण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति के नियम अचूक एवं अटूट हैं। यदि तन एवं मन में विकार होता है तो प्रकृति दण्ड देती है जो कि रोग, दुःख एवं बेचैनी के रूप में सामने आता है। उन्होंने कहा कि सात्विक जीवन में आहार तथा विचारों की सात्विकता शामिल है। उन्होंने कहा कि आहार औषधि की तरह लेनी चाहिए अन्यथा औषधि को आहार की तरह लेने की जरूरत पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि कोई शारीरिक रोग हो जाए तो ऐसे विकार को दूर करने के लिये प्राकृतिक चिकित्सा एवं मन के विकार को दूर करने के लिये विपश्यना ध्यान कारगर उपाय है। श्री साहू ने बताया कि पैर गरम, पेट नरम और सिर ठंडा होना एक स्वस्थ व्यक्ति की प्राथमिक पहचान है।

सीताराम साहू ने प्रतिभागियों को मन को शांत रखने के लिए सहज स्वाभाविक श्वांस के आधार पर आनापान ध्यान का अभ्यास करवाया तथा जानकारी दी कि थोड़ी देर के आनापान के अभ्यास से बेचैनी दूर होती है, मन मजबूत होता है तथा याददाश्त तेज होता है।

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