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इसरो ने रचा नया इतिहासः अब तक का सबसे छोटा उपग्रह SSLV-D1 लॉन्च

समवेत सृजन डेस्क। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। एक नया इतिहास रचते हुए रविवार को इसरो ने अब तक के सबसे छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।

इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से SSLV-D1 को पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS-02) और एक छात्र-निर्मित उपग्रह-आज़ादीसैट ले जाने के लिए लॉन्च किया। EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं जिसका वजन 142 किलो है।

यह सेटेनलाइनट अंतरिक्ष में 10 महीने काम करेगा। इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है। कैमरे का रेजोल्यूशन 6 मीटर है और यह रात में भी निगरानी कर सकता है। एसएसएलवी की लंबाई 34 मीटर व व्यास 2 मीटर है। पीएसएलवी 1750 किलोग्राम वजन के पेलोड को 600 किलोमीटर तक पहुंचा सकता है। एसएसएलवी 10 से 500 किलो के पेलोड्स को 500 किलोमीटर तक पहुंचा सकता है। यह एसएसएलवी महज 72 घंटे में तैयार हो जाता है।

इसमें विद्यार्थियों का भी योगदान
आजादी का अमृत महोत्सव के मौके पर स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की स्पेस एजेंसी का एक स्टूडेंट सैटेलाइट आजादीसैट भी साथ में भेजा गया। आजादीसैट एक सह-यात्री उपग्रह है। सेंट फ्रांसिस गर्ल्स हाई स्कूल तेलंगाना के तीन समूहों ने इस एसएसएलवी लॉन्च कार्यक्रम में भाग लिया।

हमें गर्व है
मामले में स्टूडेंट्स समूह ने बताया कि हमें खुशी है कि इसरो के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला। हमने कड़ी मेहनत की और आगे भी करेंगे। स्टूडेंट्स ने कहा कि हमरा सौभाग्य है कि हम सभी आजादीसैट उपग्रह के प्रक्षेपण के गवाह बनें।

दी गई ट्वीट पर ये जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने ट्वीट कर कहा कि वह अपने सबसे छोटे रॉकेट एसएसएलवी-डी1 के प्रक्षेपण पर “डेटा का विश्लेषण” लगातार कर रहा है, जो रविवार सुबह श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और एक छात्र उपग्रह लेकर गया। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, “SSLV-D1 ने सभी चरणों में अपेक्षित रूप से प्रदर्शन किया। मिशन के अंतिम चरण में कुछ डेटा में दिक्कत आ रही है, लेकिन हम एक स्थिर कक्षा प्राप्त करने मिशन के अंतिम परिणाम को समाप्त करने के लिए डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं।

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