प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज समुद्री सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक महत्वपूर्ण बैठक में अगुवाई करेंगे. इस महीने भारत की अगुवाई में काम कर रही सुरक्षा परिषद के लिए समुद्री सुरक्षा पर इस बैठक को एक महत्वपूर्ण एजेंडा के तौर पर तय किया गया था. सोमवार को होने वाली यह बैठक खाड़ी में ऑयल टैंकर पर हुए हमले को लेकर ईरान और इजरायल के बीच बढ़े तनाव के मद्देनजर खासी महत्वपूर्ण हो गई है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक सुरक्षा परिषद की बैठक में समुद्री क्षेत्र में अपराध और सुरक्षा को कम करने और आपसी तालमेल बढ़ाने को लेकर मंथन होगा. बैठक में कई राष्ट्र प्रमुखों, अनेक सरकारों के प्रतिनिधियों, यूएन के वरिष्ठ पदाधिकारी के अलावा अनेक क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शरीक होंगे.
समुद्री सुरक्षा को पहली बार व्यापक बहस के लिए एजेंडा में रखा
यूएन की सबसे ताकतवर संस्था यानी सुरक्षा परिषद में यूं तो कई बार समुद्री सुरक्षा को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए हैं. मगर यह पहला मौका होगा जब समेकित तौर पर इस विषय को व्यापक बहस के लिए एजेंडा में रखा गया हो. विदेश मंत्रालय अधिकारियों के मुताबिक़, भारत का यह मत रहा है कि समुद्री सुरक्षा पर कोई भी एक देश निर्णय नहीं कर सकता है, लिहाजा इस विषय पर व्यापक तरीके से चर्चा करने और सहमति बनाने की जरूरत है.
भारत इस बात का भी पक्षधर रहा है कि एक समेकित नजरिए से बनाई गई वैश्विक नीति जहां समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर वैध गतिविधियों को संरक्षण देगी, वहीं पारंपरिक और गैर पारंपरिक खतरों के खिलाफ कार्रवाई कयव व्यवस्था को भी मजबूत करेगी.
सागर की अवधारणा को आगे बढ़ाने की कोशिश
समुद्री सुरक्षा पर विशेष बैठक के बहाने भारत की कोशिश सागर की अवधारणा को आगे बढ़ाने की भी है जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 से करते रहे हैं. सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (सागर) एक ऐसा अवधारणा है जिसमें सबके लिए सुरक्षा और विकास के अवसर है.
सागर के इसी विचार को 2019 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान आगे बढ़ाते हुए इंडो पेसिफिक ओसियन इनीशिएटिव की शक्ल दी गई. इसके तहत साथ मुख्य स्तंभ तय किए गए जिनमें समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता विस्तार, संसाधनों की साझेदारी, आपदा नियंत्रण के उपाय व प्रबंधन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शैक्षणिक संस्थानों के बीच समन्वय, कारोबारी संपर्क और समुद्री परिवहन जैसे विषय शामिल है.
यूएनएससी बैठक की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय पीएम
बैठक से पहले जारी बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ऐसे भारतीय पीएम होंगे जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी खुली बहस की अध्यक्षता करते नजर आएंगे. बैठक न्यूयॉर्क में भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे शुरू होगी.
हालांकि, समुद्री सुरक्षा के व्यापक विषयों के अतिरिक्त सुरक्षा परिषद के समय सामने एक तात्कालिक चुनौती ईरान और इजरायल के बीच बढ़ा तनाव भी है. इस तनाव की वजह बीते दिनों एक ऑयल टैंकर पर हुआ कथित हमला है जिसमें दो रोमानियाई और एक ब्रिटिश नागरिक की मौत हो गई थी. इस हमले के लिए इज़राइल ही नहीं ब्रिटेन और अमेरिका जैसे सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य देश भी ईरान को ड्रोन हमले का दोषी करार दे रहे हैं.
इजरायल ने जहां ईरान पर पलटवार की धमकी धमकी दी है, वहीं ऐसे किसी ड्रोन हमले से इनकार कर रहे ईरान ने सुरक्षा परिषद से इज़राइल को ऐसी किसी कार्रवाई से रोकने के लिए कहा है जिससे क्षेत्रीय तनाव व अस्थिरता बढ़े. ज़ाहिर है ऐसे में भारत को तनाव घटाने के प्रयासों की सुरक्षा परिषद में अगुवाई करनी होगी.
दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भी कई देश रखेंगे अपनी बात
वैसे समुद्री सुरक्षा पर हो रहे इस विचार मंथन के बहाने दक्षिण चीन सागर में चीनी दादागिरी के मुद्दे पर भी क़ई देशों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा. खासतौर पर वियतनाम को भी अवसर मिलेगा जिसका पर्सेल और स्पार्टले द्वीपों को लेकर चीन के साथ विवाद है.
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