मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्य सभा में हुए हंगामे की जांच विशेष कमेटी करेगी. बताया जा रहा है कि एक हफ़्ते के भीतर राज्य सभा की घटना की जांच के लिए कमेटी का एलान हो जाएगा. आधा दर्जन से लेकर एक दर्जन सदस्य इस कमेटी का हिस्सा होंगे इस मामले की जांच एथिक्स कमेटी के बजाय स्पेशल कमेटी से कराई जाएगी. फ़िलहाल पूर्व सेक्रेटरी जनरल और क़ानूनी जानकरो से राय ली जा रही है.
वहीं, मानसून सत्र में कुछ सांसदों के खराब व्यवहार को लेकर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुलाकात कर चिंता जताई है.
उधर संसद में पक्ष और विपक्ष की लड़ाई के बीच राज्यसभा सचिवालय ने 11 अगस्त को राज्यसभा के अंदर हुए हंगामे पर अपनी रिपोर्ट दाखिल की है. रिपोर्ट के मुताबिक, हंगामे वाले दिन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने बदसलूकी की थी. न सिर्फ उनका रास्ता रोका, बल्कि पीयूष गोयल को धक्का भी मारा. जबकि सांसद फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा और एलमारण करीम पर मार्शलों के साथ मारपीट करने का आरोप है.
रिपोर्ट में पूरी घटना को मिनट टू मिनट जारी किया गया है. 11 अगस्त की शाम 6:02 से लेकर 7:05 के बीच एक-एक मिनट का ब्यौरा राज्यसभा सचिवालय की रिपोर्ट में पेश किया गया है. इस दौरान महिला मार्शल के साथ हुई घटना और उसे लगी चोट के बारे में भी विस्तार से रिपोर्ट में दर्शाया गया है.
राज्यसभा सचिवालय द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार शाम 6 बजे के बाद स्थिति और बिगड़ गई. पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक 6.2 बजे टीएमसी सांसद डोला सेन ने फांसी का फंदा तैयार किया, जबकि 6.4 बजे डोला सेन और सांसद शांता क्षेत्री बेल के पास पहुंचकर हंगामा करने लगे. 6.08 बजे सांसद फूलो देवी, 6.09 बजे छाया वर्मा ने चेयरमैन की टेबल की ओर पेपर फेंके.
6.17 बजे सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह पर वीडियो रिकार्डिंग करने का आरोप है. 6.22 बजे जब राज्यसभा में सरकार के नेता राज्यसभा पीयूष गोयल और प्रहलाद जोशी जब चेयरमैन से मिलकर सदन में दाखिल हो रहे थे, तब सांसद डोला सेन ने दोनों हाथों से पहले उनका रास्ता रोका और बाद में उन्हें धक्का देने का आरोप है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना में महिला मार्शल अक्षिता भट को गंभीर चोटें आई हैं, जिन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया है.
बता दें कि मानसून सत्र के दौरान पहले दिन से ही पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी था, जिसकी वजह से पूरे सत्र के दौरान एक भी दिन सदन सुचारू रूप से नहीं चल सका. 11 अगस्त को मामला और बिगड़ गया. राज्यसभा में संविधान की 127वीं अमेंडमेंट बिल और जनरल इंश्योरेंस बिल को किया जाना था, जिसे लेकर विपक्ष लगातार हंगामा करता रहा.
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