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रीपा में कोसा उत्पादन कर कर्मवीर महिलाएं बनी उद्यमी

० महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) से मिला वर्किंग शेड, कोसा रिलिंग मशीन एवं हैंडलूम मशीन और प्रशिक्षण ने बनाया काबिल
जांजगीर चांपा। सरस्वती स्व सहायता समूह की महिलाएॅ आज उन सभी महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं, जो परिस्थितियों को बदलने का जज्बा रखते हुए जीवन में कुछ नया करना चाहती है, और अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती हैं। इनके जीवन में आए बदलाव और आजीविका के विकास को देखकर आस-पास की ग्रामीण महिलाएं इनके पास आती हैं और इनसे परिस्थितियों को बदलने की प्रेरणा लेकर एक नई ऊर्जा के साथ वापस जाती हैं। इन महिलाओं ने रीपा से जुड़कर कोसा धागा निकालने का कार्य परंपरागत तरीके से शुरू किया और महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) ने इनके सपनों को पंख देते हुए ऊर्जावान उद्यमी के रूप में स्थापित किया है।
जिला जांजगीर-चांपा की जनपद पंचायत नवागढ़ की ग्राम पंचायत पेंड्री ज में रहने वाली सरस्वती महिला स्व सहायता समूह पिछले 6-7 साल से कोसा धागा निकालने के कार्य से जुड़ी हुई हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती अनीता कश्यप बताती हैं कि परंपरागत तरीके से यह कार्य उनके समूह की महिलाएं करते आ रही थी, उनके द्वारा कपड़ा निर्माण के लिए धागा उत्पादन कर व्यापारियों को बेचा जा रहा था। उनके मन में यह टीस थी, कि इतनी मेहनत के बाद भी उन्हें वह नहीं मिल पा रहा, जिसकी वह हकदार है। वह धागा का उत्पादन तो करती लेकिन कपड़ा बनाने के लिए उनके पास कोई मशीन नहीं थी ।
इसी उधेडबुन में अपने कार्य में लगी हुई थी कि उनकी उम्मीदों को सहारा देने के लिए शासन की महत्वाकांक्षी रीपा योजना आई। योजना आई तो महिलाओं ने एक पल की देरी किये बिना ही 3 फरवरी 2023 को इससे जुड़ गई। सभी महिलाएं मेहनत करना जानती थी, बस जरूरत थी उन्हें एक दिशा के साथ मार्गदर्शन और संसाधनों की। इनकी इस मेहनत की कद्र करते हुए रीपा से इनको कोसा धागाकरण उत्पादन की गतिविधि से जोड़ते हुए वर्किंग शेड बनाकर दिया। महिलाओं की लगन, मेहनत को देखते हुए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण दिया गया, इसके साथ ही रीपा से 20 हैण्डलूम मशीन एवं रेशम विभाग से 10 आधुनिक कोसा रिलिंग मशीन दी गई।
जिसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए धागा उत्पादन के साथ ही कपड़े बनाने का काम शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाने लगी और वह धागा उत्पादन करने लगी, उत्पादन इतना अच्छा हुआ कि उसे चांपा के कोसा व्यापारी अच्छे दामों में खरीदकर ले जाने लगे हैं। इसके साथ ही धागा उत्पादन से समूह की दूसरी महिलाएं कपड़े बनाने का काम करने लगी। अब वह धागा निकालने के साथ ही साथ स्वयं से कपड़ा निर्माण करने में सक्षम हो गई हैं। वर्तमान में 10 महिलाएं कोसा धागा निर्माण और 20 महिलाएं हैण्डलूम कार्य कर रही हैं। अब तक समूह की महिलाओं को 3 लाख 70 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। जिससे वे सभी आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भर बनने की राह में अग्रसर हैं। समूह की महिलाओं का कहना है कि मुख्यमंत्री जी की सोच का नतीजा है कि शासन की महत्वाकांक्षी योजना रीपा गौठानों में शुरू की गई है, जिससे महिलाएं ही नहीं बल्कि युवा, ग्रामीण सभी उद्यमी की राह पर आगे बढ़ रहे हैं और सभी को आर्थिक रूप से मजबूती मिल रही है।
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