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विदेशी चंदे वाले NGO का अन्य राजकीय पार्टियों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में घुसाने का षड़यंत्र?

एक तरफ जब प्रशासन राजस्थान की खदाने रुकवाने के लिए साधन संपन्न NGO वालो को जिम्मेदार ठहरा रहे है तब कथित कार्यकर्ता स्थानीय लोगो को हो रहे घाटे और रोजगार नहीं होने से शुरू हुए पलायन पर छत्तीसगढ़ में चुप्पी साध कर सोशल मीडिया पर करोडो खर्च कर राजस्थान सरकार के विरुद्ध अभियान चला रहे है। इसका असर सिर्फ राजकीय ही नहीं पर अन्य निवेशकों के हौसले पर भी हो रहा है।

एक ओर एनजीओ द्वारा खदान पर पेड़ कटाई एवं पर्यावरण को खतरा पहुँचाने के आरोप हैं वहीँ स्थानीय ग्रामीणों का दावा है की एक पेड़ के बदले 12 पेड़ लगाए गए हैं। उनका कहना है की राजस्थान सरकार की परियोजना से उन्हें सिर्फ रोज़गार ही नहीं मिला बल्कि बच्चों को मुफ्त सी.बी.एस.ई अंग्रेजी स्कूल मिला, उनके गॉंव में स्वास्थ्य सुविधाएं आई और महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक उद्यम भी शुरू हुए। अब स्थानियो को डर है की विदेशी फंड से चलने वाले अभियानकारीओ के चलते हज़ारों परिवारों का भविष्य राजस्थान की ही तरह अंधकारमय हो जाएगा। ऐसे में सवाल यह भी है की ऐसे स्वार्थी और पेशेवर अभियानकारी सिर्फ राजस्थान की ही खदानों क्यों निशाना बना रहे है जबकि सबसे बड़ा कोयला उत्पादक तो भारत सरकार का उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड है। अभियानकारीओ की मंशा क्या दो कांग्रेस सरकारों को भिड़ाकर, लोगो को बेरोजगार बनाकर अन्य विरोध पक्षों को छत्तीसगढ़ में पैर जमाने के लिए षड़यंत्र है ?

 

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