गुजरात में भूपेंद्र पटेल आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. बीजेपी ने जैन समाज से आने वाले विजय रुपाणी को हटाकर एक पटेल को राज्य की कमान सौंपी है. पटेल पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास को समर्पित संगठन सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी हैं. पहली बार के बीजेपी विधायक भूपेंद्र का सीएम की कुर्सी तक पहुंचने का सबसे बड़ा कारण पाटीदार समुदाय ही है.
भूपेंद्र पटेल ने नगर पालिका स्तर के नेता से लेकर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पद तक का सफर तय किया है. बताया जाता है कि राज्य में बड़ी संख्या में पाटीदाय सुमदाय के लोग बीजेपी से नाराज चल रहे थे. ऐसे में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. माना जाता है कि पाटीदार समुदाय का राज्य की करीब 71 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है.
साल 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को पाटीदार समुदाय की नाराजगी के कारण नुकसान उठाना पड़ा. इस चुनाव में सौराष्ट्र में पाटीदारों और कृषक समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया, हालांकि बीजेपी को शहरी इलाकों में ज्यादा वोट मिलीं और इससे नुकसान की भरपाई हो गई. लेकिन बीजेपी अब समझ गई है कि अगर फिर से सत्ता में वापस आना है तो अब पाटीदार समुदाय को और नाराज़ नहीं किया जा सकता.
साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 182 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 99 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी. ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस चुनाव में पाटीदार समुदाय से आने वाले बीजेपी विधायकों की संख्या 28 थी. जबकि कांग्रेस के 23 विधायकों ने जीत दर्ज की थी. इस समुदाय पर बीजेपी की ढीली पड़ती पकड़ का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2012 के चुनाव में बीजेपी के 36 पाटीदार नेता विधानसभा पहुंचे थे.
जानकार बताते हैं कि बीजेपी के लिए पाटीदार समुदाय का समर्थन इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कई शीर्ष नेता इसी समुदाय से आते हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि भूपेंद्र पटेल के रूप में किसी लो-प्रोफाइल नेता की नियुक्ति पाटीदार वोट पाने और अन्य समुदायों को संदेश देने के लिए बीजेपी की चुनावी रणनीति का एक हिस्सा है.
कहा यह भी जाता है कि भुपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की नींव पिछले महीने ही रखी जा चुकी थी, जब जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण और पूर्व सीएम केशुभाई पटेल को मरणोपरांत पद्म भूषण देने समेत पटेल समुदाय के राज्य में किए गए प्रयासों को याद किया था.
भूपेंद्र पटेल 2015 से 2017 तक अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (एयूडीए) के अध्यक्ष रह चुके हैं. इससे पहले वह 2010 से 2015 तक गुजरात के सबसे बड़े शहरी निकाय अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे थे. पटेल को करीब से जानने वाले लोग उन्हें जमीन से जुड़ा नेता बताते हैं, जो लोगों से चेहरे पर मुस्कान के साथ मिलते हैं. सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले की मेमनगर नगरपालिका के सदस्य रहे और दो बार इसके अध्यक्ष बने.
अहमदाबाद में जन्मे पटेल ने दुनिया के अनेक हिस्सों का दौरा किया है. उनकी पत्नी हेतलबेन गृहिणी हैं. पटेल के एक सहयोगी के अनुसार उन्हें आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेना अच्छा लगता है और उन्हें क्रिकेट और बैडमिंटन पसंद हैं.
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