Close

इंदौर का खजराना गणेश मंदिर : एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की चौखट पर पट ही नहीं हैं. भक्तों के लिए 24 घंटे मंदिर खुला रहता है

इंदौर के विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर की महत्ता तो सभी जानते हैं. इनके भक्त देश-विदेश हर तरफ हैं. भक्तों में आम लोगों से लेकर नेता-अभिनेता और क्रिकेटर तक सब शामिल हैं. लेकिन बहुत कम लोग ही इसके इतिहास के बारे में जानते होंगे. इसका इतिहास भी आक्रांता औरंगजेब और कुशल प्रशासन निर्माता देवी अहिल्या से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर में सब कुछ अद्भुत है. भगवान गणेश की आंख हीरे की है और यहां बना खाना गुणवत्ता में सबसे शुद्ध है.

इंदौर का प्रसिद्ध खजराना गणेश एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की चौखट पर पट ही नहीं हैं. भक्तों के लिए 24 घंटे मंदिर खुला रहता है. हर वक़्त एक विशेष मंत्र श्री गणपति अथर्वशीष का जाप चलता रहता है जो 35 साल से जारी है. मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब से इस मंदिर को बचाने के लिए अनोखा प्रयास किया गया था.

औरंगजेब से बचने कुएं में छुपायी प्रतिमा
दुनियाभर में प्रसिद्ध इंदौर का खजराना गणेश एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित अशोक भट्ट बताते हैं कि यहां भगवान गणेश की स्वयंभू मूर्ति है, जिसे औरंगजेब के हमले से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था. इस्लामिक आक्रांता और मुगल शासक औरंगजेब अपनी कट्टर प्रवृत्ति के चलते हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने का प्रण ले चुका था. इसी क्रम में जब वो अपनी सेना के साथ मालवा क्षेत्र के इंदौर पहुंचा तब भगवान गणेश की प्रतिमा को उससे बचाने के लिए गणपति की प्रतिमा को एक कुएं में छुपा दिया गया था.

देवी अहिल्या का योगदान
भगवान गणेश की ये प्रतिमा कई साल तक कुएं में ही रही. फिर इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर का शासन शुरू हुआ. देवी अहिल्याबाई होलकर अपनी ईश्वरीय भक्ति के लिए पूरे देश में पहचानी जाती थीं. उन्होंने केदारनाथ सहित देश के कई प्रसिद्ध मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया. उन्हीं के शासनकाल के दौरान एक बार पंडित मंगल भट्ट को स्वप्न आया और उन्हें कुएं में भगवान गणेश के होने का पता चला. उन्होंने ये बात माता अहिल्याबाई होलकर को बताई. उन्होंने न केवल कुएं से भगवान गणेश की उस दिव्य प्रतिमा को निकलवाया बल्कि उस स्थान पर सन 1735 ईसवी में एक भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया. उसी मंदिर को आज हम खजराना गणेश मंदिर के नाम से जानते हैं.

ढाई करोड़ के गहनों श्रृंगार
कोरोना के दौरान मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहा. लेकिन कोरोना कंट्रोल होने के बाद से गणेश मंदिर सुबह 5 से रात 12 बजे तक आम श्रृद्धालुओं के लिए खुला रहता है. भगवान गणेश और उनकी पत्नी रिद्धि-सिद्धि का रोजाना अलग अलग तरीके अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. साल में दो बार गणेश चतुर्थी और तिल चतुर्थी पर भगवान का हीरे मोती जवाहरात और सोने के करीब ढाई करोड़ के गहनों से श्रृंगार किया जाता है.

अनूठी प्रथा-उल्टा स्वास्तिक
गणेश मंदिर से जुड़ी एक अनूठी प्रथा भी है. यहां भगवान गणेश जी की पीठ की ओर बनी दीवार पर बाहरी तरफ गोबर या सिंदूर से उल्टा स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है. ऐसा करके भक्त अपनी इच्छा की पूर्ति का आशीर्वाद माँगते हैं. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तब वे मंदिर में आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं. इसके अलावा मंदिर में तीन बार परिक्रमा करके धागा बाँधकर इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्राचीन परंपरा भी है. मंदिर में तुलादान की प्रथा भी है. यहां अक्सर नवजात शिशुओं के वजन के बराबर लड्डू भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है.

33 छोटे-बड़े मंदिर
मान्यता है जब भी किसी पर कोई विपत्ति आती है, तो यहां पुजारी विशेष अनुष्ठान और पूजन करते हैं. इससे भगवान गणेश अपने भक्तों का विध्न हर लेते हैं. इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पंडित धर्मेंद्र भट्ट के मुताबिक ये परमार कालीन काफी प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर के पट आज तक कभी बंद नहीं हुए. इसके अलावा खजराना गणेश मंदिर परिसर में 33 छोटे-बड़े मंदिर बने हुए हैं. यहां भगवान राम, शिव, मां दुर्गा, साईं बाबा, हनुमानजी समेत अनेक देवी-देवताओं के मंदिर हैं. मंदिर परिसर में पीपल का एक प्राचीन पेड़ भी है. इस पीपल के पेड़ के बारे में मान्यता है कि ये मनोकामना पूर्ण करने वाला पेड़ है. कुल मिलाकर यहां का सकारात्मक वातावरण श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है.

सबसे धनी मंदिरों में से एक
देश के सबसे धनी मंदिरों में खजराना गणेश मंदिर का नाम भी शामिल है. यहां भक्तों की ओर से चढ़ावे के कारण ही मंदिर की कुल चल और अचल संपत्ति बेहिसाब है. इसके साथ ही शिर्डी के साईं बाबा, तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की तर्ज पर श्रद्धालु जन यहां भी ऑनलाइन भेंट चढ़ावा अर्पण करते हैं. मंदिर की दानपेटियों में से विदेशी मु्द्राएं भी हर साल अच्छी खासी संख्या में निकलती हैं. खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पंडित विनीत भट्ट के मुताबिक हर दो महिने में मंदिर की दानपेटियां खोलीं जाती हैं जिनमें करोड़ों रुपए की भारतीय मुद्रा के अलावा विभिन्न देशों की मुद्राएं भी मिलती हैं. इनमें डॉलर, पोंड के साथ ही हीरे, सोने- चांदी के आभूषणों के अतिरिक्त प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रियां तक लोग भगवान को अर्पित कर जाते हैं.

गणपति की हीरे की आंख
खजराना गणेश मंदिर में लोगों की आस्था बहुत पुरानी है. भक्त अक्सर ही इस मंदिर को सोना, चांदी और बहुमूल्य रत्न दान में देते रहते हैं. भगवान गणेश की दोनों आँखे हीरे की हैं जो इंदौर के ही स्थानीय व्यापारी ने दान में दी हैं. गर्भगृह की दीवारें और छत चांदी से मढ़ी हुई हैं. इस मंदिर की एक और खासियत है कि इंदौर स्वच्छता में नंबर वन है. इसलिए मंदिर परिसर को भी जीरो वेस्ट बनाया गया है. यहां फूल मालाओं के फूलों से अगरबत्तियां बनाई जाती हैं और दूसरी सामग्री से खाद तैयार किया जाता है. कचरा बाहर नहीं फेंका जाता है.

 

scroll to top