राजधानी दिल्ली की हवा फिर बिगड़ने लगी है। सोमवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 182 पर पहुंच गया। आनंद विहार में तो ये स्तर 400 के पर पहुंच गया। दिल्ली में आमतौर पर नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हवा खराब होती है, लेकिन इस साल सितंबर से ही ये बिगड़ने लगी।
अभी सर्दियों का मौसम शुरू भी नहीं हुआ कि देश की राजधानी दिल्ली का दम फिर फूलने लगा। हवा जहरीली होने लगी और राजधानी फिर से गैस चैंबर में तब्दील होनी शुरू हो गई। सोमवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 182 पर पहुंच गया। यानी, दिल्ली की हवा ‘खराब’ की श्रेणी में पहुंचने से बस कुछ ही कदम दूर है। दिल्ली में तीन दिन पहले यानी 16 सितंबर को AQI का स्तर 47 पर था। ये इस साल का अब तक सबसे अच्छा स्तर था। उस दिन दिल्ली में एयर क्वालिटी सबसे अच्छी थी। सबसे खराब हालात आनंद विहार की रही। वहां AQI का स्तर 418 पर आ गया। वहीं, शादीपुर में एयर क्वालिटी का स्तर 213 पर रहा। दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में AQI का स्तर 100 से ज्यादा ही रहा।
हवा खराब है या अच्छी कैसे पता चलता है?
इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स से मापा जाता है। जब AQI का स्तर 0 से 50 के बीच रहता है तो उसे ‘अच्छा’ माना जाता है वहीं, 51 से 100 के बीच रहने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच रहने पर ‘गंभीर’ माना जाता है। जैसे-जैसे AQI का स्तर बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे सेहत पर इसका उल्टा असर भी पड़ने लगता है। मसलन, सोमवार को दिल्ली में AQI का स्तर 182 पर था। इस स्तर में अस्थमा या फेफड़े और दिल की बीमारी से जूझ रहे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। वहीं, जब ये ‘गंभीर’ की श्रेणी में चला जाता है तो बीमारियों से जूझ रहे लोग ही नहीं, स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में परेशानी आने लगती है।
केंद्र सरकार ने 12 तत्वों की लिस्ट बनाई है, जो वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं. इनमें PM10, PM2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), सल्फर डाईऑक्साइड (SQ2), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (NO2), अमोनिया (NH3), ग्राउंड लेवल ओजोन (O3), लीड (सीसा), आर्सेनिक,निकेल, बेन्जेन और बेन्जो पायरिन शामिल हैं। हवा में जब इनकी मात्रा बढ़ती है तो वायु प्रदूषण बढ़ता है।
इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक PM2.5 होता है। क्योंकि ये हमारे एक बाल से भी 100 गुना ज्यादा छोटा होता है। ये इतना महीन होता है कि शरीर में आसानी से चला जाता है और खून में मिल जाता है। इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है।
स्वास्थ्य के लिए कितनी खतरनाक है खराब हवा?
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। साइंस जर्नल लैंसेट की स्टडी बताती है कि 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 16.7 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल खराब हवा की वजह से 70 लाख लोग बेमौत मारे जाते हैं। इतना ही नहीं, दुनिया की 99 फीसदी आबादी खराब हवा में सांस लेने रही है ।
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