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परिवर्तिनी एकादशी आज : जानें जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हिंदु धर्म में परिवर्तिनी एकादशी का महत्वपूर्ण स्थान है. मान्यता के अनुसार योग निद्रा में गए श्री हरि इसी तिथि पर ही करवट बदलते हैं, इसी कारण इस तिथि पर परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाती है. भारत के कुछ राज्यों में यह डोल ग्यारस भी कहलाती है. कहा जाता है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत के साथ साथ श्रीहरि के मंत्रों का जाप करने और अभिषेक करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

ऐसी मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन उपाय, पूजा- पाठ आदि करने से दुखों से मुक्ति मिलती है और ग्रह दोष भी दूर होते हैं. पुराणों के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान करवट बदलते हैं और इस समय वे प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. मान्यता है कि इस अवधि को दौरान भक्ति और श्रद्धा के साथ जो कुछ भी मांगा जाता है वे अपने भक्तों को अवश्य प्रदान करते हैं. इस एकादशी की पूजा और व्रत विशेष फलदायी मानी गई है.

परिवर्तिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदु पंचांग के अनुसार इस साल परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 25 सितंबर 2023 की सुबह 7:55 से अगले दिन यानी 26 सितंबर 2023 की सुबह 5 बजे तक रहेगी. इस कारण 25 सितंबर सोमवार के दिन एकादशी तिथि एकादशी रहेगी. परिवर्तिनी एकादशी का व्रत सूर्योदय पर प्रारम्भ होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होगा. पंचांग में बताया गया है कि जब एकादशी के लिए लगातार दो तारिख निर्धारित हो तो आप पहली तारिख पर एकादशी व्रत करें. सात ही इस शुभ दिन पर सर्वार्थसिद्धि, सिद्धि और सुकर्मा योग भी रहेगा, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है.

परिवर्तिनी एकादशी 2023 पूजा विधि
० परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने पहले दिन यानी 24 सितंबर के दिन और रात को ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन ही करें.
० परिवर्तिनी एकादशी सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करें.
० स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना से पहले प्रतिमा को पंचामृत से स्नान और साफ पानी से नहलाएं
० नहलाने के बाद घर के मंदिर या किसी भी साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना करें.
० भगवान की प्रतिमा के माथे पर तिलक करें और हार पहनाएं और प्रतिमा के आगे शुद्ध घी का दीया जलाएं.
० दीपक जलाने के बाद गंध, धूप, दीप, फूल, अबीर, गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं और भगवान का नाम लगातार लेते रहें.
० भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पूजा सामग्री चढ़ाने के बाद किसी भी मिठी चीज का भोग लगाएं और विष्णु सहस्त्रनाम कथा का जाप करें.
० परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें और रात में भगवान की प्रतिमा के पास बैठकर ही भजन-कीर्तन करें. ध्यान रहें कि इस दिन रात में सोना अशुभ माना जाता है.
० अगले दिन यानी 26 सितंबर को कुछ ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपने सामर्थ्य अनुसार दान दें.
० इस विधि से जो भी व्यक्ति परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करता है, उसके जीवन की समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में खुशहाली आती है.

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
हिन्दू शास्त्रों की मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु नींद से उठकर करवट बदलते हैं. इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा गया है. माना जाता हैं कि इससे पहले श्रावण माह की देवशयनी एकादशी पर विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं. मान्यता ये भी है कि इस दिन मां यशोदा ने कान्हा जी के जन्म के बाद नदी में जाकर उनके कपड़े धोए थे, जिस कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी तिथि पर भगवान के वामन रूप की पूजा करने की मान्यता है.

हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत करने से भक्तों के सभी प्रकार के कुकर्म नष्ट होते हैं और शुभ फल मिलता है. जो भी जातक इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के वामन रूप का पूजन करता है उसे तीनों लोक एवं त्रिदेवों की पूजा के बराबर फल मिलता है.

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